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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कबीर कैमठोरण बेंत आदि लचीली लकड़ी के दोनों आवश्यकता पर बलात् वसूल की जाने किनारों में डोरी बंधा हुप्रा बरमा फिराने वाली रकम । ४. किसी अपराध पर का एक साधन । कमानी। छेद करने रईसों से वसूल किया जाने वाला दंड। के लिये बरमे को घुमाने की कमानी। कबूली-(ना०) १. नमक मसाले और भालू ५. मेहराब । आदि डालकर बनाया जाने वाला चावलों कबीर-(न०) एक प्रसिद्ध निर्गुणपंथी संत का एक खाद्य-पदार्थ । २. स्वीकृति । जो जाति से मुसलमान जुलाहे थे। (इन्हीं ३. विजय के रूप में लिया जाने वाला के नाम से कबीरपंथ चल रहा है)। खर्चा या दंड दे० कबूलात । कबीरपंथी-(न०) १. कबीर पंथ का अनु- कबोल-(न०) कुवचन । यायी । २. कबीर पंथी साधु । कबोलो-(वि०) कुवचन बोलने वाला । कबीरी-(ना०) १. गुजरान । गुजारा। कब्जी-(ना०) कन्जी । मलावरोध । कोष्टनिर्वाह । २. उदरपूर्ति का काम । ३. बद्धता । पेट भराई । ४. धंधा । छोटा मोटा रोज- कब्जो-(न०) १. अधिकार । कब्जा । स्वत्व । गार । ५. गरीबी । ६. फक्कड़ जीवन । २. किंवाड़ आदि में पेंच से जड़ा जाने कबीलेदार-(वि०) परिवार वाला। वाला एक उपकरण । ३. स्त्रियों के कबीलो-(न०) १. जनाना । रनिवास । पहिनने का एक वस्त्र । २. परिवार । कुटुंब । कभागरण-(वि०) अभागिनी । प्रभागरण । कबू-(न०) १. कबूतर । कपोत । कभागियो-(वि०) प्रभागा । प्रभागो। कबूतर-(न०) पारेवा । कपोत । (वि०) कभागी-(वि०) १. प्रभाग। अभागियो । गरीब । २. प्रभागरण । कबूतर खानो-(न०) १. कबूतरों को रखने कभारजा-दे० कुभारजा । का पिंजरा । २. गरीबखाना। अनाथा- कभाव-दे० कुभाव। श्रम । (वि०) गरीब । दीन। कम-(वि०) थोड़ा । अल्प । थोड़ो। कबूतरी-(ना.) १. नट की स्त्री। २. अद्- कम अकल-(ना०) कम बुद्धि का । मूर्ख । भुत नट कला के करतब दिखाने वाली कम असल-दे० कमसल । नटनी । ३. कपोती। पारेवी। कमख-(न०) १. पाप । कल्मष । कबुल-(न०) स्वीकार । अंगीकार । ३. हमला । ४. उत्कंठा। कबूलगो-(क्रि०) स्वीकार करना । मंजूर कमची-(ना०) बेंत । छड़ी। कमजात-(वि०) कम असल। कबूलात-(ना०) १. स्वीकृति । मंजूर। कमजादा-(वि०) न्यूनाधिक । २. एक बिन अपराध की प्राचीन दंड कमजोर-(वि०) अशक्त । दुर्बल। प्रथा जिसके अंतर्गत राजा किसी भी कमजोरी-(ना०) अशक्ति । दुर्बलता। जागीरदार, धनाढ्य या प्रतिष्ठित व्यक्ति कमज्या-(ना०)१.कमाई । २.कर्म । ३.जीवन से अपनी जरूरत की बड़ी से बड़ी रकम के अच्छे-बुरे कर्म । ४. परिश्रम । मजदूरी। वसूल कर सकता था। ३. किसी धनाढय कम ज्यादा-(वि०) न्यूनाधिक । प्रोछो वत्तो। व्यक्ति, दीवान प्रादि बड़े पदाधिकारी या कमठ-(न०) १. कच्छप । २. धनुष । जागीरवार मादि से राजा के द्वारा अपनी कमठाण-(न०) १. मकान । महल । करना। For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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