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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra कपीश्वर कपीश्वर - ( न० ) हनुमान । कपीसर - दे० कपीश्वर । www.kobatirth.org कपूतर - दे० कपूत | कपूती - ( ना० ) कुपुत्री | कपूर - ( न० ) पिंद - (०) १. सिंह | २. हनुमान । ३. सुग्रीव । कपूत - ( न० ) कुपुत्र । बुरा लड़का । अऊत । कछोरू । ( २०० ) एक प्रसिद्ध सुगंधित द्रव्य । कपूरवासियो - (वि०) कपूर को मिलाकर के सुगंधित बनाया हुआ । कर्पूर वासित । कपूर वासियो - पारगी - ( न० ) कपूर मिला कर सुगंधित बनाया हुआ स्नान करने का पानी । कपूरियो - (न० ) भेड़ बकरे, आदि के अंडकोश का मांस । (वि०) १. कपूर के जैसे रंग वाला । २. हल्के पीले रंग का । कपूरी - ( ना०) नागर वेल के पान की एक जाति । दे० कपूरियो । कपोळ - (न०) कपोल । गाल । कपोळ कथा - ( ना० ) १. झूठी व लम्बी बात । गप्प | कल्पित बात । कल्पित वर्णन | कफ - ( न०) १. बलगम । श्लेष्भ । २. कमीज की आस्तीन का अगला भाग जिसमें बटन लगे होते हैं । कफरण - दे० कफन । कपन - ( न० ) मुर्दे को ढकने का वस्त्र | कफण । कफनी - ( ना० ) साधु के पहनने का लंबा चोला । कफायदो- दे० कुफायदो । कफार दे० कुफार | कबज - ( न० ) १. वश । अधिकार । २. कब्जे में लेने या पकड़ने की क्रिया । ३. मलावरोध | कब्ज | कबजो दे० कब्जो | harir कबड्डी - ( ना० ) स्वास को रोककर साहस और सतर्कता से दो दलों में खेला जाने वाला एक प्रसिद्ध कसरती खेल । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कबर - ( ना० ) मुड़दा गाड़ने का गड्ढा । कब्र । घोर । कबरी - ( ना० ) वेणी | चोटी | कबरी डंड - ( न० ) वेणी । दंड । गुँथी हुई लम्बी चोटी | दंडाकार लंबी वेरणी । कबंध - ( न० ) सिर कटा घड़ । बिना सिर का धड़ । कबंध - ( न० ) १. वाले का पुत्र । करता हुआ धड़ । शस्त्र चलाता हुआ घड़ । सिर कटे घड़ से लड़ने वीर पुत्र । २. लड़ाई कबाड़खानो - (०) १. कबाड़े का ढेर । २. वह स्थान जहाँ कबाड़े की वस्तुएँ रखी रहती हैं। कबाड़े की दुकान । कबाड़रणो - ( क्रि०) १. प्राप्त करना । २. इधर उधर खोज करके किसी वस्तु को प्राप्त करना । ३, छल से किसी वस्तु को प्राप्त करना । कबाड़ी - ( न० ) पुरानी वस्तुओं को खरीदनेबेचने वाला व्यापारी । ( वि० ) १. चालाक । होशियार । कुशल । २. प्रपंची । ३. छली । कपटी । कबाड़ो - ( न० ) १. लकड़ी का सामान । २. बेकार सामान । ३. पुराना सामान । ४. अनुचित काम । ५. प्रपंच । ६. बेईमानी का काम । कबारण - ( न० ) १. कमान । धनुष । २. मेहराब | कबारणदार - दे० कमारणदार । कबारगी - ( ना० ) १. लोह श्रादि किसी धातु की लचीली पतली सींक व लचीली पत्ती । २. घड़ी प्रादि के तारों के गोल चक्करों के श्राकार का पुर्जा । कमानी । ३. सारंगी, चकारो, रावणहत्था प्रादि तार वाद्यों को बजाने का गज । ४. पतली For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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