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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उकलणो ( १३४ ) उखाड़णो उकलणो-(क्रि०) १. सूझना । सूझ होना। सूखे हुए नदी या तालाब में खोदा जाने फूरना । २. दिमाग में आना । उपजना। वाला खड्डा । ३. ( लिखावट आदि का ) स्पष्ट पढ़ा उकेल-(न०) १. परिणाम । निकाल । जाना। २. उपाय । रास्ता । सुलझाव ।३. सूझ । उकळणो-(क्रि०) १. प्रौटना । उबलना। समझ । ४. उलझी हुई बात को सुलझाने २. अकुलाना । उकताना। ऊबना। की यक्ति । समाधान । ३. क्रोध करना। ४. भीषण रूप धारण उकेलणो-(क्रि०) १. उरझी हुई बात को करना। सुरझाना । २. सुलझाना। ३. गूच उकळतो काळजो-(न0) व्याकुल चित्त। निकालना ।। उकळाट-दे० उकळाटो। उक्त-(वि०) १. उपरोक्त । कथित । उकळाटो-(न०) १. क्रोध । २. संताप । २. उल्लिखित । ३. घाम । ४. गरमी। ५. दमघुट । उक्ति-(ना०) १. कथन । २. वाक् चातुर्य । ६. उफान । उबाल । ३. शब्द लालित्य । ४. चमत्कारपूर्ण वाक्य । उकस-(ना०) १. जोश । २. क्रोध । प्रज्वलन । २. उत्तेजन । उख-(न0) बैल । उकसणो--(क्रि०) १. जोश में आना। उखड़णो--(क्रि०) १. जड़ सहित निकल २. क्रोध करना । २. उत्तेजित होना। प्राना। २. अलग होना। सटा हुआ न रहना। ३. नौकरी का छूट जाना । पदउकसारणो-(क्रि०) उकसाना । उभारना । नयत होना । ४. क्रोध करना । तैयार करना। उग्वगारगो-(क्रि०) १. उठाकर ले जाना। उकसावरगो-दे० उकसाणो । २. भार उठाना । ३. शस्त्र उठाना । उकंबरणो-(क्रि०) सिर को ऊँचा उठाना । उखगारगो-(क्रि०) बोझा उठवाने में सहाउकाळ-(न0) उबाल । यता करना । बोझा उठवाना। उकाळरणो - (क्रि०) उबालना । उख-(ना०) औषधि । उकाळी-(ना०) उबाली हुई काष्ठादि । -(ना०) उबाला हुई काष्ठादि उखरड़ो-दे० उकरड़ो । औषधियों का पानी। औषधियों का उखराळी-(वि०) १. वाण (रस्सियाँ) उबाला हुआ रस । जोशांदा । काढ़ा। टूट कर ढीली बनी हुई (खाट)। टूटीउकाळो-(न०) १. उबाल । उफान ।। फूटी (खाट)। २. जिस पर बिस्तर नहीं २. काढ़ा । क्वाथ । बिछा हो । बिना बिस्तर की (खाट) उकासरगो--(क्रि०) १. अधिक प्रकाशमान (ना०) कुतिया की धुरी । करना । २. प्रज्वलित करना । ३. दीपक उखलणो-(क्रि०) १. अपने स्थान से की बत्ती को ऊपर खिसकाना । बत्ती को अलग होना । उखड़ना। २. परस्पर । और बाहर निकालना। ४. उत्तेजित चिपटी हुई वस्तुओं का अलग होना । करना। ५. उभारना। ६. हैरान करना। उखा-(ना०) गाय । तंग करना उखाड़णो--(क्रि०) १. किसी गड़ी या जमी उकीरो-(न0) गोबर का एक कीड़ा। हुई वस्तु को बाहर निकालना। २. अलग उकील-(न०) वकील । करना। हटाना। ३. नौकरी से दूर उकेरी-(ना०) पानी प्राप्त करने के लिये करना । पदच्युत करना। ४. नष्ट करना। For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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