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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नाक नागण नाक, नाकडली-पु० [सं० नक्रम्] १ सूघने व सांस लेने को का छोर, शिरा । ३ किनारा, छोर । ४ रास्ते का अन्तिम इन्द्रिय, नासिका । २ इज्जत, प्रतिष्ठा । [सं० नाक] भाग । ५ सीमा, हद । ६ किसी प्राभूपरण या उपकरण में ३ स्वर्ग । ४ आकाश । -नटी-स्त्री० स्वर्ग की अप्सरा । डोरा आदि डालने का नुक्का या छेद । ७ रस्सी का -पत, पति-पु० स्वर्ग का राजा, इन्द्र । -फूली-स्त्री० छोटा, फंदा। ८ साहस, हिम्मत, शक्ति । ९ देखो नाक का प्राभूषण विशेष । 'नाक' । नाव दर--वि० [फा० ना+कद्र] १ जिसकी कद्र या इज्जत | नाखणौ (बी)-देखो 'नोखणौ' (बौ) । न हो । २ जो किसी की कद्र न करता हो। नाखत, नाखत्र, नाखित्र-देखो 'नक्षत्र'।-माळा-'नक्षत्रमाळ' । नापदरी-स्त्री० [फा० नाकद्री] १ बेइज्जती, अनादर । नाखून-पु० [फा० नावून] नख, नाखून । २ अप्रतिष्ठा। नागंद, नागद्र-पु० [म० नाग-इन्द्र] १ इन्द्र, देवराज । २ उत्कृष्ट नाकबूल-वि० [फा०] अस्वीकार, नाम जूर । या श्रेष्ठ हाथी। ३ ऐरावत । ४ शेषनाग । ५ देखो 'नागेंद्र' । नाकबूली-स्त्री. प्रस्वीकृति । ६ देखो 'नागद्रह' । नाकवा'-स्त्री० नौका, नाव । नाग-पु० [सं०] (स्त्री०नागण, नागणी) १ सर्प, सांप । २ कश्यप नाकाम-वि० [फा०] असफल, बेकार, निरर्थक । व कद्रू की संतान । ३ शेषनाग। । ४ सर्प की एक जाति ना'का-देखो 'नाका'। विशेष जो ऊपर से मानव व नीचे सर्प होता है। नाकादार-देखो 'नाकेदार' । ५ हाथी, गज । ६ ऐरावत। ७ काजल । ८ जल जीव, नाकाबंदी-स्त्री. १ किसी क्षेत्र विशेष के रास्तों पर की जाने शार्क । ६ ज्योतिष के चार स्थिर करणों में से तीसरे वाली रोक । २ उक्त प्रकार की रोक के लिए तैनात करण का नाम । १० शरीरस्थ दश प्रकार के वायु में से सिपाही। ३ चौकीदारी। छठा वायु । ११ सीसा नामक धातु । १२ एक प्राचीन राज नाकाबिल-वि० १ अयोग्य । २ अनुपयुक्त। ३ प्रशिक्षित । वंश । १३ नाग केसर । १४ एक मानव जाति विशेष । नकार, नाकारउ-वि० १ कृपण, कजूस । २ बुरा, खराब । १५ अश्लेषा नक्षत्र । १६ नौ की संख्या*। १७ पाठ की ३ निकम्मा। ४ देखो 'नकार'। संख्या* । १८ कालीद्रह का नाग । १९ नागौर शहर का नाकारणौ, (बौ)-क्रि० १ इन्कार, करना, नामंजूर या अस्वी- नामान्तरण । २० निष्ठुर व्यक्ति । २१ कोई प्रसिद्ध पुरुष। कार करना । २ वर्जना, मना करना । २२ बादल । २३ खटी । २४ ग्यारह की संख्या । नाकारो-देखो 'नकार'। -कन्या-स्त्री०-नाग जाति की लड़की। नाकासरण-पु० [सं०] १ इन्द्र का आसन । २ नाक का मल ।। नागउर-देखो 'नागौर'। नाकी-पु० [सं० नाकिन्] १ देवराज, इन्द्र । २ देव, सुर। ३ देव नागकंद-पु० [सं०] हस्तिकंद।। जाति विशेष । -स्त्री० ४ इज्जत, प्रतिष्ठा। ५ मर्यादा । | नागकुळसंकेत-पु. नागवंश की विरुदावली । ६ डोरे या रस्सी का छोटासा फंदा। ७ बटन लगाने का | नागकेसर, (केसरी)-पु० [सं०] एक सदाबहार वृक्ष जिसके पुष्प छेद । -वि० इज्जत रखने वाला। औषधि में काम पाते हैं। नाड़ियो, नाकूडौ-पु० [सं० नाक कुडिक १ गोवत्स के नाक | नागखंड-पु० भारत का एक उप खण्ड जहां प्राचीन काल में में पहनाने का काष्ठ का चन्द्राकार उपकरण । २ पशुओं नागों का राज्य था। के नाक का एक रोग विशेष । ३ देखो 'नाक'। नागड़, नागड़ियो, नागड़ो- १ देखो 'नाग' । २ देखो 'नागो'। नाकू-पु० दीमक द्वारा निर्मित मिट्टी का ढेर । नागचपौ-पु० [सं० नागचंपक] नाग चंपा। नागचूड़-पु० [सं०] शिव; महादेव । नाकेदार-पु० [फा०] १ मुख्य द्वार पर तं'नान चौकीदार । नागछतरी-स्त्री० कुकुरमुत्ता नामक पौधा । २ चुगीकर वसूल करने वाला कर्मचारी । ३ सीमा का नागछोर-पु० अफीम। रक्षक । -वि० जिसमें नाका या छेद हो । नागज-पु० [सं०] १ सिंदूर । २ वंग । नाकेबंदी-देखो 'नाकाबंदी' । नागजादी-स्त्री० नागकन्या । नाकेल, नाकेलियो, नाकोलियो-१ देखो 'नकेल' । २ देखो नागझाग-पु० अफीम । 'नाको'। नागड-पु० १ एक वाद्य विशेष । २ देखो 'नागो' । माको-पु० [देश॰] १ किसी नगर, बस्ती या राज्य की सीमा नागण, (णि, पो)-स्त्री० [सं०नागिनी] १ मादा सर्प, नागिन । में प्रवेश करने के रास्ते का छोर, शिरा । २ किसी वस्तु २ नाग जाति की स्त्री । ३ कुल्टा एवं दुष्ट स्त्री। For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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