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अंतराशीष
न्याय विशारद् उपाध्याय श्रीमद् यशोविजयजी म. सा. के अध्यात्मसार ग्रंथ के आत्मानुभवाधिकार में जो शिक्षाएं है। वह जीवन के लिए अति उपयोगी है।
जिनके जीवन में शिक्षा-गुण न हो उनके जीवन का कोई मूल्य नहीं हैं। हित शिक्षा से- गुणों से व्यक्ति महान् बनता
विद्वान् मुनि श्री महेन्द्रसागरजी म. ने शिक्षा पर सुंदर सरल भाषा में विवेचन किया हैं। घर-घर में इनकी "प्रिय शिक्षाएँ" नामक पुस्तक दिपक की तरह प्रकाश देने वाली बनेगी। ऐसा मेरा मानना हैं।
मुनि श्री अपने जीवन काल में अधिक से अधिक जीवन उपयोगी साहित्य सर्जन करते रहै। ऐसी हृदय से अंतराशीष एवं मंगल शुभ कामना।
e६भाग साारसरि शत्रुजय तीर्थ, पालीताना
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