________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www. kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
हृदयाशीष
हितशिक्षा यानी आत्मा का हित करने वाली शिक्षा
हितशिक्षाओं ने कईबार कईयों का जीवन बदल दिया हैं। जीवन में हितशिक्षा बहोत जरूरी हैं।
गाँधीजी ने एक बार कहा था मेरे जीवन में तीन हितशिक्षाएँ नहीं होती तो मैं क्रिश्चन बन जाता। विदेश जाने के लिए जब माँ से पूछा गया तब माँ ने कहा- अपने घर पू. गुरू महाराज रोज गोचरी के लिए आते हैं उनको पूछ के बताऊंगी। पू. गुरूदेव से पूछा गया तब उन्होंने कहा - विदेश जाना है तो तीन बातों का ध्यान रखें। दारू, मांस और पर स्त्री गमन का त्याग रखें। फिर दुनिया में कहीं पर भी जाय। कोई चिंता करने की जरूरत नहीं।
तीन हितशिक्षाओं के कारण (नियम) के कारण एक सामान्य व्यक्ति में से महात्मा गांधी बन गये।
युवा प्रवचनकार मुनि श्री महेन्द्र सागरजी म. खूद अच्छे प्रवचनकार एवं अच्छे लेखक भी है यह उनका तीसरा प्रकाशन हैं। उनके हाथ से ओर भी प्रकाशन होते रहे ऐसी शासनदेव से प्रार्थना।
पं. विजय(२५१०२.
नव्वाणुं यात्रा प्रसंग समदडी भवन, पालीताना
For Private And Personal Use Only