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आशीर्वचन
श्री सद्गुरुभ्यो नमः
मेरी हार्दिक अनुमोदना उपाध्याय श्री यशोविजयजी द्वारा रचित अध्यात्मसार प्रकरण अध्यात्ममार्ग के पथिक भव्यात्माओं के लिए परम पथदर्शक है. इसमें पूज्य उपाध्यायजी भगवन्तने अपने अनुभव और ज्ञान का बहुमूल्य उपहार प्रस्तुत किया है. जिन मुमुक्षुओं को अपनी आत्मा की सतत उर्ध्वगति करनी है उन्हें तो इस प्रकरण ग्रन्थ का वारंवार अध्ययन मनन और चिन्तन करना चाहिए.
प्रवचनकार मुनिवर श्री महेन्द्रसागर छोटी उम्र में होते हुए भी चिन्तन प्रिय है. उनका अध्यात्म से अच्छा खासा नाता है. मुझे बड़ी खुशी और प्रसन्नता
हुई जब मुनिश्री ने इस ग्रन्थ के आत्मानुभव नामक प्रकरण की मननीय हितशिक्षाओं पर अपना मौलिक चिन्तनवाला विवेचन तैयार कर प्रस्तुत किया..
इस हितोपदेश मूलक विवेचन में सर्व जीवों को करणीय बातों का प्रेरणादायी मार्गदर्शन मिलेगा. इस से अध्यात्मप्रिय मुमुक्षुओं को अपने जीवन व्यवहार को शुद्ध करने का तरीका मिल पाएगा ऐसी मेरी अवधारणा है.
मुनिश्री का यह प्रयास संस्तुत्य ही नहीं परन्तु स्वपर उपकारक भी है. लोगों को इस में परोसी गई हितोपदेश वानगी से परम तृप्ति का अनुभव हो ऐसी शुभ कामना करता हूँ.
पसरबोरीज तीर्थ (गांधीनगर)
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