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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २८२ प्रश्नव्याकरणसूत्रे तथा 'पहरंत' पहियमाणाः पहारे व्याप्रियमाणा ये कुन्ताः भल्लाः तोमराश्य'सुरज' इति भाषा प्रसिद्धाः 'चक्क' चक्राणि 'गया'गदाः प्रसिद्धाः 'परसु' परशवः =कुठाराः तथा मुसलाः प्रसिद्धाः 'लंगल' लागलानि हलानि शुलानि= लौहास्त्रविशेषाः 'लउड' लगुडाः यष्टयः भिडिपाल' भिन्दिपाला: गोफण' इति ख्याताः ‘सब्बल ' इतिशस्त्रविशेषाः 'पट्टिस' पट्टिशाः भल्लप्रभेदाः 'चम्मे?' चर्मेष्टाः चर्मवद्धपाषाणमयास्त्रविशेषाः 'घण' घनाः अयोधनाः ‘घण' इति भाषा प्रसिद्धाः ' मोटिया' मौष्टिकाः मुष्टिप्रमाणास्त्रविशेषाः मोग्गर ' मुद्राथ प्रतीताः 'वरफलिह ' वरपरिघाः-लोहबद्धलगुडाः 'जंतपत्थर' यन्त्र प्रस्तरागोफणादि यन्त्रपाषाणाः ‘दुहण ' द्रुघणाः मुद्गरविशेषाः, तोणा:-तूणीराःकुन्तों से-भालों से, (तोमर) तोमरों से-मुरजों से (चक)चक्रोंसे (गया) गदाओं से, ( परसु ) परशुओं से-कुठारों से (मुसल ) मुसलों से, ( हल ) हलों से, (मूल ) शूलों से, (लउड ) लकुटों-( लाठियों) से (भिडिपाल) भिदिपालो से-गोफणों से, (सब्यल) सबलों से (सब्यल) यह शस्त्र विशेष है जो अग्रभाग में तीक्ष्ण ऐसा लोहे का डंडा होता है, (हिन्दी में भी इसे सब्बल ही कहते हैं ) (पटिस ) पहिशों से-भाले के आकार जैसे एक प्रकार के शस्त्रों से, चर्मेष्टों से-चर्मवद्धपाषाणमय अस्त्रविशेषों से (घण) घण-लोहपिंड, इसे भाषा में भी घण कहते हैं घणों से, ( मोट्ठिय ) :मौष्टिकों से-मुष्टिप्रमाण अस्त्रविशेषों से, (मोग्गर ) मुद्गरों से, ( वरफलिह ) वरपरिघों से-लोहबद्ध लाठियों से, (जंतपत्थर ) यंत्र प्रस्तरों से, गोफण आदि यंत्रों से, फेंके गये पत्थरों से, ( दुघण ) द्रुघणों से एक प्रकार के मुद्गर विशेषों से, (तोण ) तोभरथी-शुरया, “ चक्क" Atथी, — गया " महामाथी, " परसु" ५२शुसाथी, “ मुसल" भुसमाथी, 'हल" डोथी, "सुल" त्रिशुणाथी, "लउड" साहीमाथी, “ भिंडिपाल " लिहा (गो७ )थी, “ सबल " Ratथी, (તે એક શસ્ત્ર છે. તે લેઢાના દંડા જેવું હોય છે અને તીક્ષ્ણ અણીવાળું यि छे. तेने गुरातीम श ४ छ ) “ पट्टिस" हिशोथी ( पट्टि मासाना આકારનું શસ્ત્ર હોય છે) ચમેંટેથી (ચમ બદ્ધ પાષાણુ મહા અગ્ર વિશેशाथी ) "घण" 4थी, ":मोट्ठिय" भौष्टिाथी ( भुष्टि प्रभाएअसा विशे. " मोग्गर" भनहाथी, “ वरफलिह" १२ परियोथी-(खोडवाहीमाथी " जंतपत्थर" यत्र प्रस्तथी ( गो माह साधनाथी येता पथ्थरीथी ) दुघण" घोथी (23 प्रा२ना भाथी) " तोण" तू शिथी (माथा For Private And Personal Use Only
SR No.020574
Book TitlePrashnavyakaran Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalalji Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1002
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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