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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ___७७३ प्रकरणम् ] भाषानुवादसहितम् अथ समवायपदार्थनिरूपणम् प्रशस्तपादभाष्यम् अयुतसिद्धानामाधार्याधारभूतानां यः सम्बन्ध इहप्रत्ययहेतुः स समवायः । द्रव्यगुणकर्मसामान्यविशेषाणां कार्यकारणभूतानामकार्यकारणभूतानां वाऽयुतसिद्धानामाधार्याधार एक आश्रय एवं दूसरा आश्रित इस प्रकार के दो अयुतसिद्धों का जो सम्बन्ध 'यह ( आश्रित ) यहाँ । आश्रय में ) है' इस प्रकार के प्रत्यय का कारण हो, वही सम्बन्ध 'समवाय' है। ( विशदार्थ यह है कि ) द्रव्य गुण, कर्म, सामान्य और विशेष इन सभी पदार्थों ( में से जो दो वस्तु यथासम्भव ) कार्यकारणभावापन्न हों अथवा स्वतन्त्र ही हों. किन्तु अयुतसिद्ध न्यायकन्दली अन्तर्वान्तभिदे विश्वसंहारोत्पत्तिहेतवे । निर्मलज्ञानदेहाय नमः सोमाय शम्भवे ॥ समवायनिरूपणार्थमाह-अयुतसिद्धानामाधार्याधारभूतानां कार्यकारणभूतानामकार्यकारणभूतानां य: सम्बन्ध इहप्रत्ययहेतुः स समवायः। तदेतत्कृतव्याख्यानमुद्देशावसरे । के ते अयुत सिद्धा येषां सम्बन्धः समवायो भवेत् ? अत आह-द्रव्यगुणकर्मसामान्यविशेषाणामिति । कार्यकारणभूतानामकार्यकारणभूतानामिति नियमकथनम् । अवयवावयविनामनित्यद्रव्यतद्गुणानां नित्यद्रव्यतत्समवेतानामनित्यगुणानां कर्मतद्वतां कार्यकारणभूतानां समवायः, नित्यद्रव्यतद्गुणानां सामान्य अन्तःकरण के मालिन्य को समूल नाश करने वाले, एवं विश्व की उत्पत्ति, स्थिति और विनाश के हेतु, एवं विशुद्ध विज्ञान रूप शरीरवाले (क्षित्यादि आठ मूत्तिक शिवों में से ) सोममूत्ति स्वरूप भगवान् शम्भु को मैं प्रणाम करता हूँ। 'अयुतसिद्धानामाधार्याधारभूतानां यः सम्बन्ध इहप्रत्ययहेतः स समवायः' यह सन्दर्भ समवाय के निरूपण के लिए लिखा गया है। इस पङ्क्ति की व्याख्या इसी ग्रन्थ के उद्देश प्रकरण में कर दी गयी है। 'अयुत सिद्ध' कौन कौन से पदार्थ हैं ? जिनका सम्बन्ध समवाय होगा? इसी प्रश्न का उत्तर 'द्रव्यगुणकर्मसामान्यविशेषाणाम्' इत्यादि से दिया गया है। इस वाक्य में 'किन वस्तुओं में समवाय सम्बन्ध होता है' इस प्रसङ्ग में 'नियम' को दिखलाने के लिए कार्यकारणभूतानामकार्यकारणभूतानाम्' यह वाक्य लिखा गया है। उक्त वाक्य के 'कार्यकारणभूतानाम' इस पद के द्वारा यह नियम दिखलाया गया है कि कारणों में कार्य का समवाय होता है, अर्थात् कार्यकारणभावापन्न वस्तुओं में से अवयव रूप कारणों में से अवयवी रूप कार्य का, एवं अनित्य द्रव्यरूप कारण और उनमें होनेवाले गुणों का एवं नित्य द्रव्य और उनमें उत्पन्न होनेवाले गुणों का एवं क्रियाश्रय और क्रिया का ही समवाय सम्बन्ध होता है। एक For Private And Personal
SR No.020573
Book TitlePrashastapad Bhashyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhatt
PublisherSampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
Publication Year1977
Total Pages869
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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