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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रथमःपादः। वा निजैरे ना ॥ एG॥ निर्मरशब्दे नकारेण सह श्त उकारो वा नवति ॥ उकरो निफरो ॥ ए॥ मूल भाषांतर. निझर शब्दना नकारनी साथे इकारनो विकटपे उकार थाय. सं. निझर तेना ओज्झरो अने विकटपे निज्झरो एवां रूप थाय. । एज ॥ ॥ टुंठिका॥ वा ११ निर्जर ७१ वा ११ निर्जर सर्वत्र रखुक् अनादौहित्वं रिती य पूर्वऊजः अनेन उ११ अतःसेडोंः उज्जरो छितीये निज्जरोएन टीका भाषांतर. निर्झर शब्दना नकार साथे इकारनो विकल्पे ओकार थाय. सं. निर्झर तेने सर्वत्ररलुक अनादौ द्वित्वं द्वितीयपूर्व झ जः श्रा चालता सूत्रथी ओकार अतःसेटः ए सूत्रोथी औज्झरो रूप सिख थाय अने बीजे पदे निज्झरो रूप सिख थाय. ॥ ए७ ॥ हरीतक्यामीतोत् ॥ एए॥ हरीतकीशब्दे श्रादेरीकारस्य श्रद् नवति ॥ हरडई ॥ एए॥ मूल भाषांतर. हरितकी शब्दना आदि ईकारनो अकार थाय. सं. हरीतकी तेनुं हरडई एवं रूप थाय. ॥ एए॥ ॥ढुंढिका॥ हरीतकी ७१ इत् ६१ थत् ११ हरीतकी- अनेन री र प्रत्यादौडः तड कगचजेति कबुक् अंत्यव्यं० सयुक् हरडई ॥ एए॥ टीका भाषांतर. हरीतकी शब्दना श्रादि ईकारनो अकार थाय. सं. हरितकी तेने श्रा चालता सूत्रे री नो र थयो. प्रत्यादौडः कगचज अंत्यव्यं. ए सूत्रोथी हरडई एवं रूप सिख थाय. ॥ एए॥ आत्कश्मीरे ॥ १०॥ कश्मीरशब्दे ईत श्राद् जवति ॥ कह्मारा ॥ १० ॥ मूल भाषांतर. कश्मीर शब्दना ईकार नो आकार श्राय. सं. कश्मीर तेनुं कमारा एवं रूप सिद्ध थाय. ॥ १० ॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020570
Book TitlePrakrit Vyakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarmadashankar Damodar Shastri
PublisherNarmadashankar Damodar Shastri
Publication Year1904
Total Pages477
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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