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मात्रावृत्तम् ।
जहा, गच गहि ढुक्किच तरणि'
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लुक्किच तुरत्र तुरअहि' जुन्झिश्रा
रह रहfe मौलि धरणि पौलिश्र
.8
अप्प पर * हि बुन्झिश्रा ।
बल मिलि ' आइ पत्ति जाइउ
३०६
कंप" गिरिबर" सौहरा"
उच्छलइ सार दौण" कार
बइर" बद्विश्र" दोहरा° ॥ १९३८ ॥ हरिगौता। (A, B & F.
१८२ । द्वितीये स्थाने षट्कलमेकं कथय, चतुरः पंचकलान् देहि । द्वादशोत्तरं मात्राणां शतं मानसमंते स्थापय ॥ मानसं गुरुः ॥ ८२ ॥ (G).
१९३ । उदाहरति । गजा गजेढ कितास्तर णिलुप्तः, तुरगा
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१९३ । १ तबणि (B), dropt in ( C ). * तुरचि (B).
३सुविधा (B
१• कम्पि (B & C ).
& C), कुब्जि (D & F). ४ भौलिष (B & F'), dropt in ( C ). ५ शिव अपर (A & C), शेख पर (B). ( बुझि (A & D). 0 मिलर (A), भिस (B & C ), मिलिच (F). = पति उ (B & C ), बारड (D, E & F ) ( here र short). ९ बाइस (A), धाएउ ( D & E ), धावण (F). ११ Non est (B), गिरवर (D). उचर (B), उच्चरर (D), उचलिच (E). १४ दिन (D & F). १५ वहिर (C), वैर (D & E), वैरि (F). १९ वडिस (B), वट्टिब (C), वडिच (F). १० दौहरो (E). १८८४ (A), ९३ (F). १९ हरिगोया (C).
१९ सिंहरा (F).
११ उत्कल (A),