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अप्पम नव बोहब। नासियं विवरियंच जमह मए।। ते सोधजो गीतार्थ होय नथी जेहने अनीमान हलवाद मडर ते केहवा।
रहीतो ॥४१॥ तं सोहंतु गीयबा। अणनिनिवेसि अमरिणो॥४॥ |एम जला गुरुने वांदवानी वीधीनारख्य समाप्तः ॥
॥तिश्री गुरुवंदन वीधी नाप्य संपूर्ण ॥
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हवे पञ्चरखाण वीधी जारण्य लिख्य ते ।
॥अथ प्रत्याख्यान जाय॥ दस प्रत्यारख्यान द्वार चारवीधी आहार द्वार १ बावीसागार द्वार ।
द्वार १ एकवारना कह्या ॥ दस पच्चरकाणरचनविहे२। आहार३ दुवीसिगार, अदु दस वीकती द्वारर तीस नीवीगय बेजांगा द्वारा द्वार।
द्वार पचखाण फलदार ॥१॥ दस विगईयतीसविगई गया दुह नंगान सुधिष्फलाए प्रथम द्वार कारणे पागलथी तप करे तेरे श्रावते काले करे? [॥२॥
अणागयर मश्कंतं। एकनी अंत्य बीजानी पाद्यपधारे दीन अवस्य करेआगार रहीतर॥ __ कोमिसहिअं३ निश्रटि४ अणगार५॥ आगार सहीतर चारे वस्तुनु प्रमाण करी करे ते१संकेत मुत्सी हार आदे पचखाण। आदेर कालमान पोरसी यादे ॥२॥
सागारनिरवसेसं। परमाणकमसको अधार ॥२॥ काल पचखाण दस नेदे नोकार बे पोर वा पुरीमढ १ एकासगनु १ ए
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