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G सहीयं बेघमीर एक पोहोरनुर। कलठाणानु पग न हलावे ते१॥
नवकारसहियरपोरसी। पुरिमढे ३गासणेगगणेय५॥ आंबीलनु नपवास वा अ दीवसचरीमनु१ मुठसही आदे अ नक्तार्थ।
नीग्रह १ वीगइनु ॥३॥ आयंबिलअनत्त । चरिमेनिग्गहेविगई१॥३॥ पञ्चरखांण करण वीधी नग्गएसूरे पोरसहीनं पञ्चखाइ नग्गएसूरे नमोक्कारसहिथं पञ्चखाइ। चनविहंपिहारं ॥
नग्गएसूरे नमो। पोरसि पञ्चक नग्गएसूरे२॥ सुरेनग्गे पुरिमट्ठ पञ्चखाइ __ सूरेनग्गे अभ्यतडं पचखाइ ए चनविहंपिहारं।
रीते? ॥३॥ सुरेनग्गेपुरिमं। अनत्तई पच्चकात्ति ॥४॥ पञ्चखाण करावतां कहे गुरु करावनार पञ्चखाइ कहे इति एम कहे सीस वा पञ्चरखाण कर करनार पञ्चखामी कहे गुरु वोसी नार वली।
रे कहे सीस योसरांमी॥ नण गुरु सीसो पुण। पच्चका भित्ति एव वोसिर॥ नपयोग इहां करनारनो नथी प्रमाण करावनारना अक्षर प्रमाण जाणवो।
जूलथी ॥५॥ नवगिच पमाणं। नपमाणं वंजण हलणा॥५॥ काल पञ्चखाणमां प्रथम था बीजे थानके त्रण वीगय आदि प्रका नके नवकारसहि आदे तेर र त्रीजे स्थाने त्रण प्रकार एकासपा प्रकार।
दी॥ पढमे गणे तेरस। बीए तिन्निन तिगाइ तश्यंमि॥ पाणस्स लेवेणवादि चोथे देसावगासादी पांचमा स्थानक स्थांनकने वीपे।
मां ॥६॥
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