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________________ - गुरुने संथारे पग लगामे। संथारपाय घडण३० । गुरुने आसने बेसे? नंचे आसने बेसे? तुल्य आसने बेसेर ॥३॥ चि३१ ३२ समासणेप्रावि३३ ॥३॥ राइप्रतीक्रमण वीधी इरियावहि चैत्यवंदन मोहपती पमिलेहवी |कुसुमीण दुसुमीणनो कानसग। बे वांदणां राइथं बालोवू॥ | रिया कुसुमिणु स्सग्गे। चिअवंदण पुत्ति वंदणा लो। |बे वांदणां राइन खामवंबे पचखांण चार खमासमणां जगवन् वांदणां। आदी बे खमासमण सझाय ॥३०॥|| वंदण खामण वंदण । संवर चनत्थोन दु सप्नाना३॥ देवसी प्रतीक्रमण वीधी मुहपती पमिलेहवी बे वांदणा पच इरियावही चैत्यवंदन। खांण बे वांदणा देवसीय बालोवू॥ रिया चिश्वंदणं। वंदण चरिम वंदणा लोयं॥ बेवांदणा देवसीय खामु चा देवसीय प्रायबित्त चार लोगस्सनो र जगवन् आदी। कानसग बेखमासमण सझाय।३।। वंदण खामण चनगेन। दिवसु सग्गो दुसशान॥३॥ एरीते वांदणानी वीधी प्रते। जे प्रजूंजता चरणसीतरी करण सीतरी संजुक्त जो॥ एयं किश्कम्म विहं। जंजुत्ता चरण करण मानत्ता। साधु खपावे कर्म जे ज्ञा अनेक वा घणा नवनां संचेला वा नावरणादी प्रते। मेलवेला अंत नहीं हेवां ॥४०॥ साहु खवंति कम्म। अणेगनव संचिय मणं॥४०॥ प्रक्रण करता कहे अल्पमती कर्वा होय वीपरीतपणे जे कांइ में॥ वंत जोग जीवोने बोधने अर्थे । -
SR No.020562
Book TitlePrakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavchand Jechand Shah
PublisherRavchand Jechand Shah
Publication Year1888
Total Pages226
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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