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________________ H KIRATRAILE - i mmune mam संख्याता आयुवाला पर्याप्ता पंचेंद्री। तिर्यंच मनुषमा तीमज पर्जाप्ता संखान पऊत्त पणिंदि। तिरिय नरेसु तहेव पऊत्ते॥ प्रयवीकाय अपकाय प्रत्ये ए पांच झमकमां नीचे देवतार्नु क बनस्पतीकाय। आव २ ॥३०॥ नू दग पत्तेयवणे। एएसु च्चिय सुरागमणं ॥३॥ पर्याप्तासंख्यातायायुना गर्नजातिथंच मनुष एबे नरकसातेमां जाय पऊत्त संख गप्नय। तिरीय नरा नरय सत्तगे जंति॥ नारकीमांथी नीकल्या ए नपजे नथी बाकी बावीस मंग जबे मकने वीषे। कमां नपजवू ॥३५॥ निर नवहा एएम। नप्पङति न सेसेसु ॥३५॥ प्रथवीकाय अपकाय वनस्पतीकाय। तेमां नारकी वर्जीने जीव ॥ पुढवी पाक वणस्स। म नारय विवङिया जीवा॥ सर्व त्रेवीस झमकना था पोत पोताना कर्मनाप्रमाणना प्रजावे वी उपजे। ॥३६॥ __ सव्वे नववऊंति। निनिय कम्माणु माणेणं ॥३६॥ प्रथबीकायादी थावर५ वीगलः प्रथवीकाय अपकाय वनस्पतीकाय तिरी? नर ए दस पदमां। ए जाय ॥ पुढवाई दस पएसु। पुढवी पाक वणस्सई जंति ।। प्रथवीकायादी दसपद थकी । तेनुकाय वानकायमांनत्पात वा निकल्या। नपजे॥३॥ पुढवाइ दसपएहिय। तेक वासु नववाक॥३॥ तेनुकाय वानकायमांथी प्रथवीकाय प्रमुखमां होय पद नवमां मनुष वर्जी ॥ तेक वाक गमणं। पुढवी पमुहंमी होइ पय नवगे। जव। -
SR No.020562
Book TitlePrakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavchand Jechand Shah
PublisherRavchand Jechand Shah
Publication Year1888
Total Pages226
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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