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________________ । ४३ । - THEIRECOMMONTIO D REARRIAL प्रथवीकायादी स्थानक दस ते वीगलेंद्री थाय वीगलंद्रीमाथी नि मांधी निकल्का। कली ते दसमां जाय ॥३॥ पुढवाई गण दसगा। विगलाई तितहिं जंति ॥३॥ जबुं आवई गर्नज जे तिर्यंचने चोवीसे झमके जीवस्थानकने वीषे॥ गमणा गमणं गप्नय। तिरित्राणं सयल जीव गणेसु॥ समस्त चोवीसे झमके जाय तेनुकाय वानकाय ए बेमांथी मनुष मनुर हवे मनुष थाय बावी न थाय ॥३५॥ दार २१ समकमांथी निकल्या। सव्वब जति मणुा। तेक वाकसुनजंति॥३णाद्वार२१ द्वारश्अंतरद्वीपनां जुगलीयां। तेमने गमन होय अगीयार झमके। अंतरदीवा जुअला। तेसिं गई हवंति इक्कारा॥ दस जुवनपतीमां एक व्यंत आगती मनुष तिर्थच मध्येथी वे रमां ए अगोयारमां। ४।। । दह नवणा इक्क रणे। आगइन मणुअतिरिएसु॥४०॥ हवे असंनी तीर्यचनी गती ते बावीस झमकमां ने ज्योतिषि वैमां जवं। नीक ए बे वीना।। | असन्नि तिरिए गईन। बावीसा जोइस विमाण विणा॥|| यागती थावर पांचमां तथा। वीगलेंद्री पंचेंद्रितीर्यच मनुष ए दस मांडे ॥४१॥ आगश्न थावर पंचए। विगलपंचिंदितिरिय? नरा॥४॥ उमुर्चीम मनुष। दस थानके जाय पांच थावर वीगलेंद्रीत्रण। | समुचिम मणुश्राणं । दह गईन पंचपथावरा विगला३॥ ALLERS %
SR No.020562
Book TitlePrakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavchand Jechand Shah
PublisherRavchand Jechand Shah
Publication Year1888
Total Pages226
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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