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________________ ४० असन्नि मनुष पाश्री तो द्वार१६ जेम नत्पती द्वारे संख्या कही|| थसंख्याता द्वार १५। तीम चवन द्वारे पण ॥ द्वार १६ असन्नि नर असंखा। जह नववा तहेव चवणेवि द्वार१६ [द्वार२५ हजार नतकृष्ट प्रथवीकायादी द्वार१ बावीस सात त्रण दस वर्ष। चारनुं ॥२६॥ | बावीस सगति दस वास। सहस्स किठपुढवाशाश्६॥ त्रण दीवस अग्नी?हवे त्रण नररनु तिर्यंच नुं वली देवता |पल्योपम आयु। नारकीनु सागर तेत्रीसवें ॥ ति दिण ग्गि ति पल्लाक। नर तिरि सुर निरय सागर वितररनुं पल्योपमनुं ज्यो तित्तीसा॥ तीषीर तो आगल कहेजे। वर्ष लाष अधीक पल्योपमनुं॥२७॥ वंतर पन्नं जोइस। वरिस लका हिअंपलिअं॥॥ हवे असुरकुमार? ने अधिक देसेनणा बे पल्योपम नवनीका सागरोपम एकनुं। यमार ॥ असुराण अहिय अयरं। देसूण दु पन्नयं नवनिकाए। बारवर्ष नगणपचास दीवसनु। उमासर्नु नत्कृष्टु विगलेंद्रीश्ने वायु ॥२॥ बारसवासु णपण दिण। बम्मास नक्किछ विगलामाश्ता हवे झवन्य प्रथवीकाय या अंतरमुहुर्त झघन्य बानपानी ये दस ० पदोने। स्थिती ॥ पुढवाई दस पयाणं। अंतमुहत्तं जहन्न आन दिई॥ दसहजार वर्षनी स्थितिवाला। नवनपती१०नादकीश्वीतर।। दस सहस वरिस विश्रा। नवणाहिव निरय वंतरयाश
SR No.020562
Book TitlePrakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavchand Jechand Shah
PublisherRavchand Jechand Shah
Publication Year1888
Total Pages226
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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