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हवे जोगनांनाम सत्यश्असत्य, मुषा ए च्यार मन मीश्रते? सत्यामुषा असत्या।। चनने वैक्रिय आहारक? ॥
सच्चे अर मीस असच्च। मोसमण वय वेनव्वि श्राहारे॥ नदारीक ए त्रण मीश्रसहीत एकह्या ते जोग १५ नपदिश्या कार्मण:एसात जोग कायना। समयमा वा आग्यममां ॥२॥
नरलं मीसा कम्मण। श्य जोगा देसिआ समए॥३॥ द्वार१४ हवे नपयोग १२त्रण च्यार दर्शन ए बार जीवनां लक्ष अज्ञान ज्ञान पांच।
एनपयोग नाम॥ ति अन्नाण नाण पण। चन दंसण बार जिअलका |ए बार जे नपयोग। कह्या त्रण लोक दर्शी पर वनगा।
मात्मा तेमने॥२३॥ अबारस नवनगा। नणिश्रा तिलुक्क दंसीहिं॥३॥ हवे ते झमके कहेले नपयो बार होय नव नुपयोग नारकी? ति ग मनुष' ने वीषे। येच देवता१३मां ॥
नवगा मणुएसु। बारस नव निरय तिरिय देवेसु॥ वीगलेंद्री बेमांश पांच ब नप चोरंद्री१ मां थावर ५पांचमां त्रण योग ।
नपयोग ॥२४॥ द्वार १४ विगल दुगे पण बकं । चरिंदिसु थावरे तिअगं॥॥ द्वारर एसंख्याता असंख्या गर्नज तिर्यंचर मां वीगलेंद्री द्वार ता जीव एक समयमां। मां नारकीर मां देवतार३मां नपजे॥
संख मसंखा समए। गप्पय तिरि विगल नारय सुराय॥ मनुषर मां तो नीचे संख्याता वनस्पतीर मां अनंता बाकी थावरण ज एक समयमा नपजे। मां असंख्याता ॥२५॥
मणुा नियमा संखा। वण ताथावर असंखा॥श्य॥
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anima