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________________ हवे ते जिनघर वा जिननूवननु बोहोतेर अनुक्रमे दीर्घ वा लांबप प्रमाण वा माप केहेडे एकसो णे १०० जोजन पोहोलपणे ५० जोजन पचासजोजन वली। जोजन चपणे ७२ जोजन ॥ जोयण सयंच पन्ना। बिसयरि दहित्तं पिहल उच्चत्तं॥ वैमानीकनांनंदिस्वरद्वीपनां। कुंमलद्वीपनां रुचकद्वीपना एटला जिननूवननु प्रमाण ॥१३॥ वेमाणिअनंदीसर५२।कुंमलधरुअगेधनवण माणं १३ हवे त्रीस नूवन ने हिमवंतादीक त्रीस कुलगिरी वा वर्षधर पर्वत a पर दश नूवन ले देवकुरु नत्तरकुरु क्षेत्रने वीषे। तीस३० कुंमलगिरिसु दस१० कुरु। ||पांच मेरुपर्वतना वनोमां ० एंसी प्रासाद ने वीस प्रासाद गजदंताप __ मेरु वणि असी वीसश० गयदंते ॥ र्वत पर डे॥ वरख्वारा पर्वते एंसी प्रा चार चार प्रासाद इखुकार पर्वते तथा साद । मानुष्यो तर पर्वते ॥१॥.. | वकारेसु असीईन्च नचन-सुपार मणुष नगे१४ ए आदे असुरकुमारमांहिं रह्या जे प्रासाद तेनु । एआई असुर नवण आिई। पुर्वे जे प्रमाण प्रासाद लांबा पोहोला चानु ने तेथी अनुक्रमे थ धमांन एटले दीर्घ ५० प्रथुल २५ चपणे ३६ जोजन जाणवां ॥ पुव्वुत्त माण अचाई॥ तेहथी अर्धप्रमाण नागकुमारादीक तेथी व्यंतरमां नवन ले ते || नवनीकायने वीषे प्रासादनु प्रमाण र्धप्रमाण लांबांर पोहोला बेलां० २५पो१२०१ जोजन। ६ नंचाए जोजन ॥१५॥ दल मित्तो नागाई नवसु। वणेसुं न अधं ॥१५॥ -
SR No.020562
Book TitlePrakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavchand Jechand Shah
PublisherRavchand Jechand Shah
Publication Year1888
Total Pages226
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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