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________________ - स्फटिकमय एटले जसवर्णमय मस्तक डे परवालाना वर्णस दंत जाणवा हवे वजमय। मान होठ ॥ फलिह मय दसण वयरमय। सीस विहूममया नजराणा सोनावर्णमय ढींचण तथा शरीरयष्टी नासिका कांन नाल वा|| झंघा । कपाल साथल ते सर्वे सोनावर्णिबे॥ कणगमय जाणु जंघा।तणुजी नास सवण नालोरू॥ ते प्रतीमा पल्यंकासने वा एणे प्रकारे ते शास्वती चार नांमनी पद्मासने बेठी । प्रतीमानु वर्ण हुए ॥१०॥ . पलीयंक निसन्नाणं। इन पमिमाणं नवे वन्नो॥१॥ नवनपतीदेव व्यंतरदेव क पांच सना तेहनां नाम केहेलेन ल्प जे अचूत सुधी देव जो त्पात सना अनिषेक सनाश तीम |तिषी देव तेहमां। ज अलंकार सना३॥ नवणवण कप्पजोश्साग्ववायनिसेअरतह अलंकारा व्यवसाय सनाधसुधर्मसनाए।मुखमंझप आदे बए करी सहीतले ११ ववसायसुहम्मसनाए।मुहमंव माश् बक्कजुआ।१॥ हवे एक एक जिननवने जिन तीवार पजे एकेके बारणे पांच पांच बींब संख्या केहेत्रणद्वारनां सना डे ए सना थुनना ६० जिन जे नवन ते प्रतेके त्रए चोमु बीब डे ते सहीत॥ खनी १२ जिनप्रतीमा । तिदुवारा पत्तेअं। तोपुण सन थून समिबिबेहिं॥ ते चैत्य मूलनी १००प्र नूवन नूवन प्रते जिनबींब वा जिनप्र तीमा साथे। तीमा १०० एकसो एंसी डे ए नाव १२ ॥ ६ ॥ १७ ॥१॥ चेअ बिंबहिं समं। पश्नवणं बिंब असीइ सय॥१॥ -
SR No.020562
Book TitlePrakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavchand Jechand Shah
PublisherRavchand Jechand Shah
Publication Year1888
Total Pages226
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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