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२५० गयाल कोमी गुणतीस लक। सही सहस्स सय नवगं सठ एटला पल्योपममा पल्योपमन देवतानु श्रायु बांधे कांइक नंगां।
एकघमीना धर्मनु॥॥ तेसही किंचूणा। सुरा बंधोई गघमिए ॥॥ साउने प्रमाणे एक दिवस रातनी। धमीयो जे जाय पुरषनी॥
सही अहोरतेणं। घमीत्रानजस्स जंति पुरिसस्स॥ व्रत नीम तेणे करी पीण ते दिवस नीफलो ते जीवना जीवी रहीत आयुखु।
तमांथी ॥१०॥ निअमेण विरहीत्रान। सो दिअहन निष्फलो तस्सर हवे सासोसासनु फल एकसो कोम सातने लाख अमतालीसने॥ वर्षना नसास चारसे कोमने।
चत्तारी कोमिसया। कोमी सतलक अमयाला॥ चालीस वली हजार वर्ष एकसोना थाय सासोसास ते 10७४0 10000। हमांथी ॥११॥
चालीसंच सहस्सा। वास सय हुंती ऊसासा॥२२॥ एक पीण सासोसास। नही रही न्य पापे करीने ने॥
को विश्र ऊसासो। नय रहिन होई पुण्य पावहिं॥ जीवारे पुन्ये करी सहीत एक पीण सासोसास तो एटलो ला होय ।
न थाय ॥१२॥ __ जश् पुणेणं सहिन। एगोविश्र ता इमो लाहो॥१॥ लाख बे हजार पीस्तालीस ने। चारसेंने आठ नीचे पल्योपम॥
२३५४०७॥ लक दुग सहस पण चत्तं। चनसया अठचेव पलियाई॥||
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