SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 154
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - २४० - - - त्रणसें समतालीस कोम३४ने। बावीस लाख ने बावीस हजार ने॥ तिसय सगं चत्त कोमिालका बावीस सहस बावीसा॥ बसें ने बावीस ने नपर बे देवतानु आयु बांधे एक पोहोरना धर जाग एटला पल्योपमनु। मनु३४७ २१ २२ २२२ जा०॥५॥ दुसय दुवीस दुनागा। सुरान बंधोय गपहरे॥५॥ हवे सामायक फल दसलाखने मुहुर्त वा बेघमीनी गणती था एसीहजार एटलां। य एकसो वर्षनी ॥ । दसलक असीय सहसा। महुत्त संखाय होइ वास सए॥ तेमां जीवारे सामायक सही एक पण महुर्त तेह जीवने एटलो त धर्ममां बेघमी रहे वा। लान थाय ॥६॥ जश् सामाश्य सहिन। एगोवित्रता इमो लाहो॥६॥ बाणुकोम पल्योपम ने। ओगणसाठ लाख ने पचीस हजार ने॥ बांणवय कोमी। लरका गुणसठिसहस पणवीसं॥ नवसेने पचीसे सहीत ने। एक पल्योपमनाबानागमांना सा तनाग देवगतीनु आयु बांधे ॥७॥ एएएएए२५ जा नवसय पणवीस जूत्रा। सतिहा अमनाग पलिअस्स ७ हवे घमीफल एकसो वर्षनी एकवीसलाखने तीमज सातहजार॥ घटीयो कहे। वाससए घमित्राणं। लरिकगवीसंसहस्स तह सही॥ तेहमांनी जो एक पण घमी ध जीवारे तीवारे ते जीवने एटलो मसाधन सहीत। लान थाय ॥॥ एगाविध धम्म जूत्रा। जश् ता लाहो श्मो हो॥॥ बेतालीस कोम ने प्रोगत्रीस लाख। बासठ हजार नवसेने।
SR No.020562
Book TitlePrakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavchand Jechand Shah
PublisherRavchand Jechand Shah
Publication Year1888
Total Pages226
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy