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________________ % 3D - - - - २०३ तेमाने रांक वा बापमो। थापणी कायाने परीश्रम वा खेद करी सुख प्रते ॥३॥ सो मन्नए वरान। सय काय परिस्समं सुखं ॥३॥ अतीसय सम्यग् प्रकारे कीहांई केप्तीमा वा क्रीमामां नथी जोतां थकां। जेम सार॥ सुघुवि मग्गिळंतो। कबवि कयली नछि जह सारो॥ इंद्रीना वीषयमा तीम। नथी सुख ननु पण वा अतीस यपणे जोजे तुं ॥३६॥ इंदिय विसएसु तहा। नबिसुहं सुचव गविठं॥३६॥ स्त्रीना शृंगाररूपीया त वीलासरूप थेला वा वेहेवानी ताण रंग वा कल्लोल। जोवनरूप जले ॥ ____सिंगार तरंगाए। विलास वेला जुव्वण जलाए। कीया कीया जगमां पुरुष नारीरूप नदीमां न मुबे एटले जे एहवी। काकोक्तीइं मुबेज ॥३॥ । के के जयंमि पुरिसा। नारि नईए न बुडंति ॥३॥ शोकरूपतो नदी दुरीत वा कपटनी कुंमी वा नाजन एहवी पापरूप गुफा ॥ स्त्री कलेसनी करणहारी। सोसरी दुरिअ दरी। कवमकुमी महिलिया किलेस |वैररूप अग्नि प्रगट करवा दुःखनी खाण सुखनी प्रती [करी॥ ने अरणीना काष्ट समान। पक्षी वा नपरांठी ॥३॥ वर विरोयण अरणी। दुकखणी सुख पमिवरका॥३॥ अजाएयुं मननु जे पराक्रम वा साथे साचो कुण जे नत्तम ना सामर्थ। . सी पार पामे ॥ अमणीश्रमण परिकम्मो।सम्म कोनाम नासिनंतर॥ - । - - - - -
SR No.020562
Book TitlePrakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavchand Jechand Shah
PublisherRavchand Jechand Shah
Publication Year1888
Total Pages226
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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