________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
कोहो माणो माया, लोभो बीया अपचखाणा उ । एयाणुदए जीवो, विरयाविरई न पावेइ ॥४४॥ एसिं जाण विवागो, मिच्छाओ जाव अविरओ ताव । परओ देसजयाइसु, नत्यि विवागो चउण्डंपि ॥४५॥ कोहो माणो माया, लोभो तइया उ पचखाणा उ । एयाणुदए जीवो, पाइन सर्वविरई तु॥४६॥ एसिं जाण विवागो, मिच्छाओ जाव विरयविरओ उ । परओ पमत्तमाइसु, नत्थि विवागो चउण्हपि ॥४७॥ कोहो माणो माया, लोभो चरिमा उ हुंति संजलणा। एयाणुदए जीवो, न लहइ अहखायचारित्तं ॥४८॥ एसिं जाण विवागो, मिच्छाओ जाव वायरो तिण्हं । लोभस्स जाव सुहुमो, होइ विवागो न परओ ॥४९॥ नव नोकसाय भणिमो, वेया तिन्नेव हासछकं च । इत्थीपुरिसनपुंसग, तेसि सरूवं इमं होइ ॥५०॥ पुरिसं पइ अहिलासो, उदएणं होइ जस्स कम्मस्स । सो फुफुमदाहसमो, इत्थीवेयस्स उ विवागो ॥५१॥ इत्थीए पुण उवरिं, जस्सिह उदएण रागमुप्पजे । सो तणदाहसमाणो, होइ विवागो पेरिसवेए ॥५२॥ इत्थीपुरिसाणुवरिं, जस्सिह उदएण रागमुप्पजे । नगरमहादाहसमो, सो उ विवागो अपुमवेए ॥ ५३॥ तिहँवि होइ विवागो, मिच्छाओ जाव बायरो ताव । हासरईअरइभयं, सोगद्गुच्छा उ अह भणिमो ॥ ५४॥
१ "सबविरई उ" इति । २-३ "य" इति । ४-६“जस्सुदएणं तु राग उप्पज्जे” इति । ५ "उ पुमवेए" इति। ७ “होइ विवागो नपुंसस्स" इति । ८ "तिण्हवि जाण विवागो" इति । ९ "य" इति ॥
२%A4-%ECEMACROCARE
For Private And Personal Use Only