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हुविष्क का मथुरा शिलालेख
मथुरा (उ०प्र०) भाषा-संस्कृत प्रभावित प्राकृत लिपि-ब्राह्मी, वर्ष 28 (106 ई०) सिद्ध (चिह्न) (॥) संवत्सरे 20 (+ ) 8 गुर्पिये दिवसे ? अयं पुण्यशाला प्राचिनीकन सरूकमान-पुत्रेण खरासले
रपतिन वकन-पतिना अक्षयनीवि दिन्न(1) (।) तुतो वृद्धि) 4. तो मासानुमासं शुद्धस्य चतुदिशि पुण्यशा(ला)
यं ब्राह्मणशतं परिविषितव्यं (।) दिवसे दिवा से) च पुण्यशालाये द्वारमुले धारिये साद्यं सक्तना (-) आ
ढका 3 लवृण-प्रस्थो 1 शक्तप्रस्थो 1 हरित-कलापक8. घटक(1) 3 मल्लक(1) 5 (1) एतं अनाध(T)नां कृतेन द
(तिव्य )
बभक्षितन पिबसितनं (।) य चत्र पुण्य तं देवपुत्रस्य 10. षाहिस्य हुविष्कस्य (1) येषा च देवपुत्रो प्रियः तेषामपि पुण्य 11. भवतु (।) सर्वायि च पृथिवीये पुण्य भवतु (अक्षयनिवि)
दिन्ना 12. . . . (र कश्रेणी )ये पुराणशत 500 (+) 50 समित कर
श्रेणी
1.
एपि0 50 21, पृ० 60
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