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७० श्री महावीर जिन पंचकल्याणक पूजा
॥ढाल बीजी ॥ राग भैरव ॥ ॥ होन दिलराम तो क्या दिलको आराम || ए देसी ॥ नाथ लघुवाल तोए शक्ति विशाल, शक्ति विशाल वर्द्धमान सुकुमाल, नाथ लघु बाल तोए शक्ति विशाल ॥ लाखो जो लेख मली बीवडावे २ल्हारे, भय मनमां न धारे लगारे लगारे ॥तोए शक्ति विशाल ॥नाथ।।
॥ए आंकणी ॥ शाखी-मिथ्यादृष्टि मत्सरी, ३अमर एक तव आय ।। स्थूल भयंकर ४अहि थइ, वृक्ष उपर विटाय ॥ भय मनमां न धारे लगारे लगारे ॥ तोए० ॥ नाथ ॥
शक्ति० ॥ लाखो० ॥१॥ शाखी-५दीर्घपृष्ठने देखतां, व्हीने नाठा बाल ॥ पकडी निज हाथे प्रमु, करे दूर तत्काल ॥ भय मनमां न धारे लगारे लगारे तोए०॥ नाथ ॥
शक्ति०॥ लाखो० ॥२॥ शाखी-धृष्टपणे सुर ते धरे, सात तालर्नु रूप ॥ प्रकृष्ट मुष्टि प्रहारथी, वाले विष्टप भूप ॥ भय मनमां न धारे लगारे लगारे ॥ तोए०॥ नाथ० ॥
शक्ति०॥ लाखो०॥३॥ शाखी-सुर गयो जिन माणिक्यने, खामी नामी शिर ॥ तुष्ट चित्त मघवा तदा, नाम धरे महावीर ॥
१ देव. २ साथे. ३ देव. ४ सर्प. ५ सर्पने. ६ जगत.
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