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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रीमहावीर जिन पंचकल्याणक पुजा ७१ भय मनमां न धारे लगारे लगारे । तोए० ॥ नाथ० ॥ शक्ति० ॥ लाखो० ॥ ४ ॥ ॥दोहो । आठ वर्षनी उम्मरे, मात पिता मनोहार ॥ निशाले जग नाथने, आणे हर्ष अपार ॥१॥ संशय पंडितना सवी, टाले त्यां जग तात ॥ जैनेंद्र व्याकरण वर, तदा थयुं विख्यात ॥ २ ॥ १पितृव्य नाम सुपार्श्व छ, नंदिवर्द्धन भ्रात ॥ भगिनी तास सुदर्शना, पावन जग प्रख्यात ॥ ३ ॥ वरी यशोदा यौवने, सुख विलसे संसार ॥ अठावीश वरसे गयां, मात पिता २धु मझार ॥४॥ मागे संजम अनुमति, प्रभु निज बांधव पास ॥ प्रत्युत्तर आपे तदा, नंदिवर्द्धन खास ॥ ५ ॥ ॥ ढाल त्रीजी ॥ राग कालिंगडो ॥ ॥ बीक लागे भाइ बापु पासे जातां मुजनेरे ॥ ए देशी॥ हाल नहीं भाइ आयें व्रतनी संमति तुंजनेरे ॥ मात पितानो विरह ५वति दहे छे मुजनेरे । हाल । ए आंकणी। भाइ वात रखे ए भाखे, पीडा पासु तुज पाखे ।। क्षत उपर खार शुं नांखे, वल्लभ तुज विजोग केम खमाय मुजनेरे ॥ हाल० ॥१॥ १ काका. २ स्वर्ग. ३ आशा. ४ आज्ञा. ५ अग्नि. For Private And Personal Use Only
SR No.020554
Book TitlePooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikyasinhsuri
PublisherHiralal Bhagubhai Shah
Publication Year1953
Total Pages145
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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