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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री महावीर जिन पंचकल्याणक पूजा रहरि लांछन कांचन २तनु, अमृत पान करंत ।। द्वितीया चंद्र परे विभु, दिन दिन वृद्धि लहंत ॥ ६ ॥ ॥ढाल पहेली। राग भैरवी ॥ ॥ए जमवा अभिलाष, सरस मही, ए जमवा अभिलाप ए देशी॥ बर्द्धमान भगवान, भुवनमणी, बर्द्धमान भगवान ।।ए आंकणी।। मनहर स्फूर्ति मंगलमूर्ति ३नृतन रूपनिधान ।। भुवन० ॥ ४शारद शशि सम ५वदन ६मनोरम, अधर विद्रम उपमान ॥ भुवन० ॥१॥ धुंघर वाला ९कुंतल काला, दंत १०तति ११ सित वान ॥भुवन०॥ श्वास संबंधी १२समीर मुगंधी, करपद कमल समान भुवन० २ गजगतिगामी अमल १४अनामी, १५पुद्गल प्रबल प्रधान । भुवन सहस अष्टोत्तर लक्षण सुंदर, मति श्रुत अवधि भान भुवन० ३ पूरण प्रतापी १६मधुरालापी, १७विदित सकल विज्ञान । भुवन० १८निखिलानंदन त्रिशला नंदन, गुण गण माणक खाण ॥ भुवनमणी वर्द्धमान० ॥ ४ ॥ ॥दोहा॥ क्रीडा करे प्रभु एकदा, लघुवय बालक १९ल्हार ॥ वासव तव बल वर्णवे, २०मरुत सभा मोझार ॥१॥ __ १ सिंह. २ शरीर. ३ नवीन.४ शरद ऋतुनो चंद्र ५ मुख ६ सुंदर. ७ होठ. ८ परबाळा. ९ केश. १० पंक्ति. ११ धोली. १२ वायु.१३ हाथपग. १४ नीरोगी.१५शरीर. १६ मिष्ट वचन बोलनार. १७ सर्व कलाना जाण.१८ सर्वने आनंद पमाडनार. १९ साथे. २० देव. For Private And Personal Use Only
SR No.020554
Book TitlePooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikyasinhsuri
PublisherHiralal Bhagubhai Shah
Publication Year1953
Total Pages145
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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