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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री ब्रह्मचर्य व्रत पूजा. मन्मय भंजन नाथ निरंजन, शूरवीर सुलतान ॥ देव नही तुम सरिखो दूजो, जिन माणक गुण खाण ।। भवोदधि पार उतारो राज ॥जित०॥ ओलगडी० ॥३॥ ॥ इति प्रथम-जल पूजा संपूर्णा ॥ ॥ अथ द्वितीय चंदन पूजा प्रारंभः ।। ॥दोहा॥ तजवा मैथुन तापने, सजवा शीतल शील ॥ चरचो जिनने चंदने, लेवा अक्षर लील ॥१॥ तीश नाम मैथुनतणां, भाखे श्री भगवान ।। अब्रह्मर ते अकुशल क्रिया, आदि छे २अभिधान ॥२॥ युग्म कर्म छे ए वली, तेथी मैथुनर तंत ॥ ब्याप्यु सघला विश्वमां, चय॒ तेह चरंत ॥३॥ ३वी संसर्गे संपजे, संसगि निःसार ॥ सेवावे दूषण सवी, ते सेवाधिकार५ ॥ ४ ॥ जन्मे जे संकल्पथी, ते संकल्प विचार ॥ पीडे सघळा प्राणिने, नाम बाधना धार ॥ ५ ॥ अंग दर्पथी उपजे, दर्प८ नाम दुख दाय ।। वेद मोहीनीथी हुवे, माटे मोह मनायः ॥६॥ क्षोभ पमाडे चित्तने, मानो ते मन क्षोभ१०॥ १ काम. २ नाम. ३ स्त्री संबंधे. ४ विकल्प. For Private And Personal Use Only
SR No.020554
Book TitlePooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikyasinhsuri
PublisherHiralal Bhagubhai Shah
Publication Year1953
Total Pages145
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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