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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री स्नात्रपूजा. ॥ ढाल सुपनानी॥ पेहेले गजवर दीठो, बीजे वृषभ वरिन्हो॥ तीजे सिंह सुरंग, चोथे २कमला चंग ॥ १॥ पांचमे पुष्पनी माल, छठे चंद्र विशाल ॥ सातमे सूरज सार, आठमे ध्वज झलकार ॥२॥ नवमे कलश मनोहर, दशमे पद्म सरोवर ॥ सागर भुवन विमान, तेरमे रत्न निधान ॥३॥ निर्धमअगनी निरखे, माताजी मन हरखे ॥ जइने रायने भाषे, राजा अर्थ प्रकाशे ॥४॥ जिन माणक सुत थासे, इंद्रादिक गुण गाशे ॥ सुख संपद बहु मलशे, सकल मनोरथ फलशे ॥५॥ ॥ ढाल ॥ चोथी ॥ ॥श्रीशांतिजिनेश्वर ॥ ए देशी ॥ ३अवधे अवलोकी, तव जिनने सुररायरे ॥ शक्रस्तव भाखी, वंदे शीश नमायरे ॥ जिन जननी पासे, आवी कहे सुण मायरे ॥ तुज ४नंदन होसे, तीर्थंकर सुखदायरे ॥१॥ इम इद्र वखाणी, श्रीनंदीश्वर जायरे ॥ परभाते नरपति, जोसीने तेडायरे ।। ते बोल्या राजन् , चौद भुवननो ५तायरे ॥ तुम कुलमंडल संवर, पुत्र थशे जिनरायरे ॥२॥ १ हाथी. २ लक्ष्मी. ३ अवधि. ४ पुत्र. ५ तात. अथवा रक्षक. ६ सुंदर. For Private And Personal Use Only
SR No.020554
Book TitlePooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikyasinhsuri
PublisherHiralal Bhagubhai Shah
Publication Year1953
Total Pages145
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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