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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री मात्रपूजा. इम सांभली राजा, राणी मन हरखायरे ॥ दाने संतोषी जोषी करे वदायरे ॥ गर्भ जिनमाणक, दिन दिन वृद्धि पायरे ॥ कल्याण वधाइ, घरघर ओच्छव थायरे ॥३॥ एम कहीने फूल चोखा प्रमुखथी प्रभुने वधावीये पछी चैत्यवंदन करी कलश लइने उभा रहे. ॥गीति ॥ शुभ लग्ने जिन जन्म्या, तव त्रिभुवनमां तेज प्रकाश थयो । नारक पण सुख पाम्या, सर्व जगत जन मन आनंद भयो ॥ ढाल पांचमी ॥ ॥ श्री शांतिजिननो कलश कहीशुं प्रेमसागर पूर ॥ ॥ए देशी ॥ जिनराज जन्मोच्छवतणो कहुं, कलश मंगलकार ॥ छप्पन्न दिग कुमरी तदा त्यां, आवी अवधि विचार ।। वंदी जिनेंद्र जिनेंद्र जननी, प्रेमरस भरपूर ॥ संवर्त पवने अष्ट कुमरी, हरती कचवर दूर ॥१॥ गंधोदके वलि वृष्टि करती, अष्टकुमरी सार ॥ तिम अष्ट दर्पण हस्त धरती, अष्ट जलभंगार ॥ कर अष्ट वीजण अष्ट चामर, चार दीपक धार ॥ बलि चार रक्षाकार २कदली. गेह करती उदार ॥२॥ १ जलकलश. २ केलनां घर. For Private And Personal Use Only
SR No.020554
Book TitlePooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikyasinhsuri
PublisherHiralal Bhagubhai Shah
Publication Year1953
Total Pages145
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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