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* पाययकसुमावली
जह डज्झइ तणकट्ठ जालामालाउलेण जलणेणं । तह जीवस्स वि डज्झइ कम्मरयं झाणजोएण ॥ १३ ।। बीयंकुराण व जहा कारणकज्जाई नेय नज्जति । इय जीवकम्मयाण वि सहभावो णंतकालम्मि ।। १४ ।।
मजलायन जह धाऊपत्थरम्मि समउप्पणम्मि जलणजोहि। डहिऊण पत्थरमलं कीरइ अह निम्मलं कणयं ।। १५ ॥
. अनदिन धान तह जीवकम्मयाणं अणाइकालाम्म झाणजोएण । निज्जरियकम्मकिट्टो जीवो अह कीरए विमलो ॥ १६ ॥ जह विमलो चंदमणी झरइ जलं चंदकिरणजोएण । तह जीवो कम्ममलं मुंचइ लद्धण सम्मत्तं । १७ ।। जह सूरमणी जलणं मुंचइ सूरेण ताविओ संतो। तह जीवो वि हु नाणं पावइ तवसोसियप्पाणो ॥ १८ ॥
जह पंकलेवरहिओ जलोवरि ठाइ लाउओ सहसा । तह सयलकम्ममुक्को लोगग्गे ठाइ जीवो वि ।। १९ ।।
( उज्जोयणसूरिविरइया कुवलयमाला पा. ९८)
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