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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दमयंतीसयंवरी (सोमप्र माचार्य ने 'कुमारपालप्रतिबोध' नाम का ग्रंथ १२ वें शतक में लिखा था। इसमे पाँच प्रस्ताव है । ग्रंथ की भाषा मुख्यतः प्राकृत है । तो भी कुछ कथाएँ संस्कृत और अपभ्रंश में भी लिखी हैं। ग्रंथ गद्यपद्यमिश्रित है । ख्यातनाम कलिकालसर्वज्ञ हेमचन्द्राचार्य ने विविध कथाएँ कहकर गजरात के कुमारपाल राजा को धर्मप्रवत्त किया। यहाँ दमयंती स्वयंवर का वर्णन नाटयमय और बहुत रोचक ढंग से किया है। सोमप्रभाचार्यांनी कुमारपाल-प्रतिबोध' ग्रंथ १२ व्या शतकात लिहिला. यात पाच प्रस्ताव आहेत. ग्रंथ मुख्यतः प्राकृतात असला तरी काही कथा संस्कृत व अपभ्रंश भाषेत ही लिहिल्या आहेत. ग्रंथ गद्य पद्यमिश्रित आहे. सुप्रसिद्ध कलिकालसर्वज्ञ हेमचंद्राचार्यांनी या निरनिराळ्या कथा सांगून गुजरातच्या कुमारपालराजाला धर्मप्रवृत्त बनविले. येथे दमयंती स्वयं - वराचे नाट्यमय सुंदर वर्णन दिले आहे. ) For Private And Personal Use Only
SR No.020552
Book TitlePayaya Kusumavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhav S Randive
PublisherPrakrit Bhasha Prachar Samiti
Publication Year1972
Total Pages169
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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