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१७. प्रवचनसार
सबुज्झ-(सं+बुध्) समझना, ज्ञान पाना ( ज्ञान मिळवणे, आत्म जागृत
होणे ) बुज्झ-(ब) जानना, जागना (जाणने, जागे होणे) संबोहि-(संबोधि) सत्य धर्म की प्राप्ति, आत्म जाति, ( सत्य धर्माची
प्राप्ति) पेच्य-(प्रेत्य) परलोक. मुण-(दे.) जानना (जाणणे) कख- काङ्क्ष ) चाहना, वांछना (इच्छा करणे) सज्ज-(सङ्ग्) आसक्ति करना (आसक्त होणे) गंडूस-(गण्डूष) पानी का कुल्ला (पाण्याची चूळ) काउरिस-(कापुरुष) डरफोक पुरुष (म्याड मनुष्य) कलत्त-(कला) पत्नी. कसिण--(कृत्स्न) संपूर्ण. ज्यहि-- (उदधि) सागर उप्पह--(उत्पथ) उन्मार्ग, कुमार्ग (आडमार्ग) आराम-- आराम) उद्यान इंगाल--(अन्गार) जलता हुआ कोयला (रखरखीत कोळसा
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