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१६. कप्पूरमंजरीए सिंगारो
मज्ज-(मन्ज्) स्नान करना (स्नान करणे) टिक्किद-(दे.) तिलक विभूषित (तिलक लावला) टिक्क-- दे.) तिलक. पिंजर-(पिञ्जर) पीतरक्त वर्ण (घासून स्वच्छ केलेले) रोसाणिअ-(मृष्टः) शुद्ध किया हुआ, मार्जित रोसाण-(मृज) मार्जन करना, शुद्ध करना (स्वच्छ करणे) सुअ-(शुक) शुक (पोपट) कचि-(काश्चि) कटीमेखला (मासपट्टा) बरिही, बरहि-(बहिन् ) मोर. पओट्ट, पउट्ठ-(प्रकोष्ठ) हाथ का पहुँचा (मनगद) तोणी-(तूणीर) शरधि (बाणाचा भाता) चंकम-(चक्रम) चलना-फिरना (चालणे) जच्चंजण-(जात्यञ्जन) उत्तम अंजन वाला सिलीमुह-(शिलीमुख) तीर, शर. कुडिलालअ-कुटिलालक) धुंघराले बाल (कुरळे केस) णिडाल-(ललाटभाल (कपाळ) घणसार-(धनसार) कपूर (कापूर) तार-(तार) चमकता, देदीप्यमान (चमकदार) चिहुरभार-(चिकुरभार) केश संभार. एणणअणा-(एणनयना) मृगनयना (हरिणाक्षी) एण-(एण)हरिण. सुरहिलच्छी-(सुरभिलक्ष्मी) वसंतऋतुका वसंत श्री
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