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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १३६ ) (७) प्रत्येक को दृढ़ निश्चय रखना चाहिये कि उसे हैजा नहीं होगा । इन्फलुएन्जा | ( Influenza, ) ईन्फ्लुएञ्जा की भयङ्करता को समझ कर, दूरदर्शिता का विचार कर प्रत्येक गृहस्थ को सावधान रहना चाहिये, श्रीर रहन सहन तथा खान पान में इस प्रकार का सुधार किया जावे जिससे इसका धावा होने का कारण हो उपस्थित न हो । सम दारों का कहना है कि पानी के पहिले पाल बांधना चाहिये Preventior is better than cure तदनुसार नीचे लिखे उपचार तथा उपाय, जो गत ईन्फ्लुएञ्जा के समय विशेष कारगर हुए समझे गये वे प्रकाशित किये जाते हैं। आशा है कि समय पर लोग इनका उपयोग कर लाभ उठायेंगे । ईन्फ्लुएञ्जा से बचने के साधन । (२) जहां तक हो इसकी छूत से बचा जाये । (२) यह बीमारी दूसरे कारणों के सिवाय खास कर व्यक्तिगत समागम, भीड़, श्वास, थूक, अस्वच्छता और अन्धेरे मकान में निवास आदि के प्रसङ्ग होने से अथवा ऐसे स्थानों में रहने से आक्रमण किया करती है । अतः ईन्फ्लुएञ्जा के समय इनसे बचाव किया जाये । (३) सभा सोसाइटियों में मेले खेलों में, नाटक तमाशों में जहां अधिक समुदाय एकत्र हो वहां भीड़ में कभी नहीं जाना चाहिये। रेल में भी जहां अधिक मनुष्य बैठे हुए हों वहां नहीं बैठना चाहिये। भीड़ से इसके आक्रमण का भय अधिक है। For Private And Personal Use Only
SR No.020550
Book TitlePathya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunamchand Tansukh Vyas
PublisherMithalal Vyas
Publication Year
Total Pages197
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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