________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
परंतुष्ट नागार्जुनराने आपेला खाचार्य एवा अपर नाम गळा विनयसिंह नामना शीघ्रकवि तथा रत् मिंजरी चंपू थान कर्ता भाष यना वत्ता दिगंबराचार्य इंद्रना मना आचार्य तेना मित्रो हता. आ उदयसुंदरी कथाना गुण पति रीति वगेरेनुं वर्णन थिमां कविए करेलुं छे. शापाभिभूत बाणभट्ट आ कथा यांचीने अभिनन्दी अने तेथी तेना श्रापनी मुक्ति थई. भास, कालिदास, गुण ढ्य, कुमारदास, बाण, श्रीहर्ष, वाकपतिरान, भवभूति मुंज, भोज वगेरे कविओने तेमनी कविता वास्ते आ काव्यमा वखाण्या छे.
वार्गाश्वरं हन्त भनेभिनन्दमर्थश्वरं वाकातिरानभाहे । रसेश्वरं स्तौमि च कालिदासं वाणं तु सर्वेश्वरमानतास्मि ।
बाण कविनो आदर्श कवि हतो. आ कथाना नायक शालिवाहनना वंशनो प्रतिप्ठाननो मलयवाहन राना छे; अने उदयसुंदरीनी प्राप्तिने अनुलक्षीने आ कथा रचली छे. अनंतपालना सं. १०१६ ना ताम्रपत्रमा नागार्जुन तथा तेना कनिष्ठ भ्राता भुम्माणि राजनुं नाम आवत होवाथी कविनो समय विकमना आगीयारमा शतकनो पूर्वार्ध निश्चित थाय छे. सुभद्रा परिणयने अवलंबीने मंत्री वस्तुपाले नरनारायणानंद नामनुं महाकाव्य बनावेलुं छे. वस्तुपले एक आदिनाथनु स्तोत्र बनावलं छे तेवं आ काव्यना प्रांते .गावंलु छे. परंतु ते अत्यारे उपलब्ध नथी. महान् गैनमंत्रीनी आ एकन कृतिनी प्रति उपलब्ध छे अने ते पण ब्रह्मण धर्मना विषय उपर. मलधारि विजयसिंह शिष्य हेमचंद्र, नाभेय नेमिद्विसंधान नामर्नु आदिनाथ अने नेमिनाथ संबंधी व्याश्रय काव्य नोंध लेवा लायक छ. उदयप्रभy धर्माम्युदयनामनु संघाधिपति चरित्र वस्तुपाले गिरनारना संघ काढयो ते उपर रचेलुछे प्रथम अने छेल्ला सर्गमा वस्तुपाल तथा तेना गुरु अने बीना जैनाचार्यों संबंधी ऐतिहासिक वृत्तांत छ वाकीनो भाग आदिनाथ अने नमिनाथ वगेरे तीर्थकराना चरित्रोनो छे तिलक मंजरीने कविता टुकमा पल्लीवाल कुळना लघु धनपाले करेली छे. विद्यासिंह अने वैजल देवीना पुत्र मन्मथसिंहना सूक्त रत्ना ..र नामना महाकाव्यना धर्माख्य प्रथम द्वारमा धर्मना सूक्तो संग्रहेला छे. कातन्त्र दौर्गसिंही वृत्तिना प्रयोगोना उदाहरणका भीष्मने अवलंबीने मल महाकविर प्रतिज्ञागांगेय न.मनुं महाकाव्य रचेलुं छे. मंडप दुर्गना पादशाह आमिलशाहना मंत्रिमंडने क व्यमंडन (पांडवो संबंधी ) चंपूमंडन. (पदविषयक) कादंबरी मंडन ( कादंबरीस र ), शंगारमंडन, अलंकार मंडन, संगीतमंडन, उपसर्ग मंडन अने चंद्रविजय प्रबंध ( चंद्र उपर ) एम आठ ग्रंथो रचेला छे. मंत्रिमंडन- जीवन कवि महेश्वरे कान्य मनोहरमा लखेलुं छे.
For Private And Personal Use Only