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( ३३ )
सयल मंगल सयलमंगलमूलु मुणिनाह आबुगिरि आदिनिणु पायपउम पणमेवि भाविणु कछोलीमुखमंडणु पासनाहु उरवरि धरेविण ॥ वागुवाणि सुभवयण ले अवतरी अक्षरमाल मंगलकलसुचस्ति हिव भणसिउ रलिअ रसाल ॥ १ ॥ ( दूहां ) रलिअ रसाल निसुणतां मंगलकलसचरित्त । भावआं भाविइ संभलु करीउ सुनिचल चित्तु ॥२॥ निश्चलाचत्तपसाउलइ विधन विलीजइ दूरि ।
सुलालत वाणी इम भणइ श्री सर्वानंद हि ॥३॥ पेथडरास. विक्रमना १३ शतकमां थयेला पोरवाड वंशना पेथडशाहना सुकृतो आ कर्ताना नाम वगाना रासमां संक्षेपमा वर्णवेला छे. रास १५ शताना आदिमा रचाएलो लागे छे. पेथडना विशेष वर्णन माटे सुकृतसागर कान्य जुओ. आदि विनयि वयणि वीनवउ देवि सामिाण वागेसरि ।
हंसगमाण आकाशभमाण तिहुयाण परमेसरि । वीरजिणंदह नमीय चलण चउविहु श्रीसंघिहिं । कवाडनरूख जख्खाधिरान समरीय मनरंगिहि ॥ १॥ कोडीय नयरनिवासिणीय वंदउ अंबिकदेवि । शासनदेवात मन धरीय गुरुचलण नमेवि ॥ २ ॥ रास रमेवउ जिणभवणि तालमेल ठवि पाउ
संघ तलायन रोपीउ ए सभगिरिविभगिरि बेवि ॥ ३ ॥
संघपति समरसिंहरासना कर्ता नागेंद्रगच्छना पासडसूरिना शिष्य अंबदेव .. संघपति समरसिंह उर्फ समराए केटलांक स्तवनो बनावेलां छे. संवत् १४७१ मां तेणे शव जय उपर ऋषभदेवनी मूर्ति बेसाडी हती. आ रास पण ते अरसामां रचायेलो छ भने तेमां समराना विविध कृत्यो विस्तारेलां छे. समरसिंह ओसवाळ हतो भने नेना उपर अलपखाननी महेरबानी हती. आदि पहिलउ प्रणभिउ देव आदिसरु सेत्तुजसिहरे ।
अनु अरिहंत सव्वेवि आराहउ बहुभत्तिभरे ॥
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