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(३२)
गिरिसिरि सामीय निरखीय हरखीय सा निजअंगि ॥ १॥ सामी केवल कामिनी करि धरी रानीमती नादरी सा सारी निनकान राजकुमरी मुगतिइ गइ सा वरी । जे रेवइगिरिरायऊपरि गमइ श्रीनमिपाये नमइ
ते पामइ सुखासिद्धिरिद्धिहि रमइ श्री शाश्वती भोगवइ ॥ ३ ॥ इति श्रीसुरंगाभिधो नेमिफागः संपूर्णः संवत् १५०२ वर्षे कृतो धनदेवगणिना
वस्तुपाल तेजपाल रास-आ रासना कर्तानु नाम जणावेलु नथी. बहुज नानो होवाथी तेमां वस्तुपालना फक्त धर्मकृत्योर्नु टुक वर्णन करेलुं छे. रास जनो होवाथी तेमां वस्तुपाल अने तेजपालना वस्तिग अने तेजिग एवां नामो आपेलां छे जे तेमना खरां लौकिक प्रचारना नाम होवां जोइए. चिहुंगतिनी वेलना कर्तानु नाम पण वास्तग छे.
वीर जिणेसर नमीय पाय अनइ गोयमसामी सरसाततणइ पसाउलइ ए कहिसिउ सिरनामी ॥ १ ॥ वस्तुपालतेजिगतणउ अम्हे बोलिस रासो भरतषेत्र धूरि गुजरात अनहिलपुर वासो ॥ २ ॥ अणहिलवाडउ नयर जाणि पुहुविपरसिद्वउ ।
गढमढमंदिरपोलिवावि सरवरइ समिद्वउ ॥
श्रेणिकरास-आ रासना कर्ता जणायला नथी. पण १५ शतकमां रचायेलो होवो जोइए. प्रतीक संवत् १५९६ नो छे. आदि सोहोवा सिरिविरनिणपयपंकय पणमेवि
श्रेणीउभयकुमार चरितु हउ संखेवि भणेसु ॥ १ ॥ श्रेणीउभयकुमारचरी सरसतिविणु न कहाइ
पणमइ वीटिउ वाउलओ वाणी संघपसाइ ॥२॥ 'मंगळकलस चोपाइ--आ रासना कर्ता सर्वानंद सूरि कीया गच्छना हता अने तेमणे आ रास क्यारे रच्यो ते जणातु नथी. एक सर्वानंद सूरिए सं. १३०२ मां चंद्रप्रभ चरित्र रचेलु छे जा चोपाइमां वसंत सामेरी द्रुपद वगेरे रागो वापरेला छे.
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