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तउ सरसति सुमरेवि सारसससिहरनिम्मलीय । जसु पयकमलपसाय मुरुखु माणइ मन रलीय ॥ २ ॥ संघपतिदेसलपृत्तु भणिसु चरिउ समरातणउ ए । धम्मियरोलुनिवारि निसुणउ श्रवणि सुहावणउ ए ॥ ३ ॥ पासडसूरिहि गणहरह नेउअगच्छनिवासो तसु सीसिहिं अंबदेवसूरिही रचियउ एहु समरारासो ।। एह रासु जो पढइ गुणइ नाचिउ जिणहरि देइ ।
श्रवणि सुणइ सो बयठउ ए तीरथजात्रफलु लेइ ॥
मुदयवत्सवीरचरित्र सदेवंत सावलिंगानी लोककथानुं आ जूनुं काव्य छ. कर्ता जैनतर भीम छे. तेना विशे कंइ विशेष जणातुं नथी. प्राकृत तथा जूनी गूजरातीमा रचायेन आ काव्यमा ६७२ गाथाओ छे. ग्रंथान १० ११ छे. कविए पाधड़ी, छप्पय, वस्तु, दोहा, चउपइ वगेरे छंदो वापरेला छे. प्रबंध सालमा शतकना आरंसे बनाक्लो लागे छे.
माइमहामाइमझे बावनवन्नम्स जो सारो । सो बिन्दु ओक्कारो ओंकारेण नमोकारो ॥ १ ॥ जिणइ रचीय निगमआगमपुराणसर भक्खराण विस्थारो। सा ब्रह्माणी वाणी पय पणमवि सुपय मग्गेसु ॥ २ ॥ गजवयण गवरिनंदण सेक्यसुहकरण असुहअवहरणो । बहुबुद्धिसिद्धिदायक गणनायक पढम पणमेसु ॥ ३ ॥ गुरु लहु अनि केवि कवियण सरससुअत्था सुछंदबंधयरा। ए कंठठाणि सव्वे करजुअलं जोडि पणिमामि ॥ ४ ॥ सिंगारहासकरुणा रुद्दो वीरो भयान वीभत्थो । अद्भुतशंत नवइ रसि जसु जंपिसु सुदयवच्छस्स ॥ ५॥ छप्पय मालवदेसमझारि नयर ऊनेणी अणोपम पहु पहुवच्छ नरिंद नारि बहुलच्छि लच्छिसम तिह सुय सुदयकुमार सबल सामलिभत्तारह । साहसि जसि पवरति प्रसिद्ध जगि जयत जूआरह खित्ततणी खित्तिय सोह कर रायरीति वीर नि विशुद्ध इम मणिइ भीम तुअ गुण थुणिसु जोइ रासि धीवर लब्ध ॥१॥
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