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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तउ सरसति सुमरेवि सारसससिहरनिम्मलीय । जसु पयकमलपसाय मुरुखु माणइ मन रलीय ॥ २ ॥ संघपतिदेसलपृत्तु भणिसु चरिउ समरातणउ ए । धम्मियरोलुनिवारि निसुणउ श्रवणि सुहावणउ ए ॥ ३ ॥ पासडसूरिहि गणहरह नेउअगच्छनिवासो तसु सीसिहिं अंबदेवसूरिही रचियउ एहु समरारासो ।। एह रासु जो पढइ गुणइ नाचिउ जिणहरि देइ । श्रवणि सुणइ सो बयठउ ए तीरथजात्रफलु लेइ ॥ मुदयवत्सवीरचरित्र सदेवंत सावलिंगानी लोककथानुं आ जूनुं काव्य छ. कर्ता जैनतर भीम छे. तेना विशे कंइ विशेष जणातुं नथी. प्राकृत तथा जूनी गूजरातीमा रचायेन आ काव्यमा ६७२ गाथाओ छे. ग्रंथान १० ११ छे. कविए पाधड़ी, छप्पय, वस्तु, दोहा, चउपइ वगेरे छंदो वापरेला छे. प्रबंध सालमा शतकना आरंसे बनाक्लो लागे छे. माइमहामाइमझे बावनवन्नम्स जो सारो । सो बिन्दु ओक्कारो ओंकारेण नमोकारो ॥ १ ॥ जिणइ रचीय निगमआगमपुराणसर भक्खराण विस्थारो। सा ब्रह्माणी वाणी पय पणमवि सुपय मग्गेसु ॥ २ ॥ गजवयण गवरिनंदण सेक्यसुहकरण असुहअवहरणो । बहुबुद्धिसिद्धिदायक गणनायक पढम पणमेसु ॥ ३ ॥ गुरु लहु अनि केवि कवियण सरससुअत्था सुछंदबंधयरा। ए कंठठाणि सव्वे करजुअलं जोडि पणिमामि ॥ ४ ॥ सिंगारहासकरुणा रुद्दो वीरो भयान वीभत्थो । अद्भुतशंत नवइ रसि जसु जंपिसु सुदयवच्छस्स ॥ ५॥ छप्पय मालवदेसमझारि नयर ऊनेणी अणोपम पहु पहुवच्छ नरिंद नारि बहुलच्छि लच्छिसम तिह सुय सुदयकुमार सबल सामलिभत्तारह । साहसि जसि पवरति प्रसिद्ध जगि जयत जूआरह खित्ततणी खित्तिय सोह कर रायरीति वीर नि विशुद्ध इम मणिइ भीम तुअ गुण थुणिसु जोइ रासि धीवर लब्ध ॥१॥ For Private And Personal Use Only
SR No.020547
Book TitlePatanna Bhandaro Ane Khas Karine Tema Rahelu Apbhramsa tatha Prachin Gujarati Sahity
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChimanlal Dahyalal Dalal
PublisherMaherbanji Dadachanji Beheram
Publication Year1915
Total Pages45
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size4 MB
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