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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (२९) अंत ठक्कर माल्हेपुतु विद्धणु पभगइ सुद्धमणी हरखिहि लागउ चातु . चउदहसइ तेवीसमए । सिय भायवइग्यासि गुरुवासरि इह उपनउ नयरविहारमझारि पंचमिफलु इम्व गाइयउ ॥ ४६ ॥ नंदउ चउविह संधु नंदउ सिरिजिणउदयगुरो जिम्ब तारायणं चंदु जिम्ब जलनिहीं गुरुगिरिपवरो। इह सियपंचमी तेमि चिरु णंदउ संसारमहि ते नर सिवपुरि जाहिं पढहिं गुणहिं जे संभलई ॥ ५४८ ॥ चिहुंगतिनी वेल-चिहुंगतिनी वेलनो कर्ता वस्तिग छे. रच्या संवत् आपेली नथी पण प्रतीक सं. १४६२ मां लखायेलो छे. आदि सेत्तुंन वंदिअ तीरथराउ गुरुया गणहर करउ पसाउ वागवाणि हउं समरउं देवि चिंहुगतिगमण कहू संखेवी ॥ ४ ॥ चिंहु गतिमांहि काइ नच्छी सार दसइ दुरकतणुं भंडार चिंटू गतितणुं तहिां नहीं कोई गंमु जिहि चित्ति एक वसइ निणधम्नु __ अंत रामतिनी छइ मू घणी टेव गुरुया संधनी नितु करु सेव अज्ञान पणइ आसातन कीध वस्तिग लागइ श्रीसंघपाय ॥ ५ ॥ __ आ चिहुगतिवें वेल- बीजुं नाम चतुर्गति चतुष्पदी छे. बीजी प्रतमा प्रथम लीटी नीचे प्रमाणे छे. शेन वंदिय तीरथराउ प्रभरत्ना गुरु करुं पसाउ ___ आ उपरथी कर्ताना गुरुनु नाम प्रभरत्न अथवा रत्नप्रभ हशे पण विशेष हकीकत नही आपेली होवाथी ते क्यारे थया ते कही शकाय नही. त्रिभुवनदीपक प्रबंध-जयशेखर सूरिना त्रिभुवन दीपक प्रबंध उर्फे परमहंस प्रबंधमां जूदा जूदा छंदो-वस्तु, दुहा, चुपइ, बोली, द्रुपद, ढाल,धउल वगेरे-वापरेला छे जयशेखर मूरि सं. १४६० ना अरसामा विद्यमान हता. आदि (धुरि दुहा रागु धनासी)ए पहिलउ परमेश्वर नमी अविकतु अविचल चित्ति For Private And Personal Use Only
SR No.020547
Book TitlePatanna Bhandaro Ane Khas Karine Tema Rahelu Apbhramsa tatha Prachin Gujarati Sahity
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChimanlal Dahyalal Dalal
PublisherMaherbanji Dadachanji Beheram
Publication Year1915
Total Pages45
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size4 MB
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