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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( २६ ) चार्य उदयसिंहनी धर्मविधि वृत्तिनी संवत् १४१८ मां कछूली पासे लखायेली लूगडा उपरनी प्रतना प्रांत लखेल छे. गणवइ जो जिम दुरीउविहडणु रोलनिवारणु तिहुयणमंडणू पणमवि सामीउ पासर्जिणु । सिरिभदेसर सूरिहिं वंसो बीजीसाहह वंनिसु रासो धम्मिय रोल निवारिउ ।। सग्गपंडउ जिम महीयाल जाणउं अठारसउ देसु वखाणउ गोउलि घन्नि रमाउलउ । अनल कुंडसंभम परमार राजु करई तहिं छे सविवार । आबूगिरिरु तहिं पवरो विमलडवसही आदिजिणंदो || अचलेसरु सिरिमा सिरिवंदो तसु तलि नयरीय वन्नीयए । जणमननयणह कम्मणमूली क्छूली किरिलंकविलासी सरप्रवाचि मणोहरीय - ॥ ताम्हिनयरीय तम्हि नयरीय वस बहु लोय | चिंतामणि जिम दुच्छीयहं दीई दानु सविषेय हरिसीय 1 सच्चर सीलि ववहरइ कूडकपटु नवि तेय जाई । गलीउ जलवाडी पीइ धम्मक अणुरत । एकजीह किम वन्नी कछूली सुपवित्त ॥ वस्तु ॥ अंत निणसासाण नहचंदु सुहगुरु भवीयहं कलपतरो । तां जग जयवंत उम्हाउ जां जगि ऊगइ सहस करो । तेरत्र रासु कोटि वडि निम्पउ | जिणहरि दिंत सुणंत मणवांछेय सवि पूरवउ ॥ थूलभद्रका स्थूलभद्रनो आ फाग खरतरगच्छना आचार्य जिनंपद्मसूरिए चैत्र मासमां रंगथी रमवा अने गावा बनावेलो छे. जिनपद्मसूरि विक्रमनी १४ मी सदीना अंतमां थया हता. आदि-मिय पास जिणंदपय अनु सरसइ समरेवी थूलभद्दमुणिव भणिसु फागुबंधु गुण केवी ॥ १ ॥ अह सोह सुंदररूवतु गुणमणिभंडारो । कंचण जिम झलकंतकंति संजमसिरिहारो ॥ लिभमणिराउ जाम महियली बोहंतउ | For Private And Personal Use Only
SR No.020547
Book TitlePatanna Bhandaro Ane Khas Karine Tema Rahelu Apbhramsa tatha Prachin Gujarati Sahity
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChimanlal Dahyalal Dalal
PublisherMaherbanji Dadachanji Beheram
Publication Year1915
Total Pages45
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size4 MB
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