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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (२५) धरइ ते जुगहरण सवि ताव गयणि न उग्गइ दिणयर जाव ॥ ४ ॥ भाद्रवि भरिया सर पिक्खेवि सकरुण रोवइ राजलदेवि । हा एकलडी मइ निरधार किम उवेषिसि करुणासार ॥ ५॥ निम्मल केवल नाणु लहेवि सिद्धि सामिाण राजलदेवि । रयणसिंहसूरि पणमवि पाय बारइ मास भाणया मइ भाइ ॥ ४०॥ नेमिकुमरु समरवि गिरनारि सिद्धि राजल कनकुमारि । विनयचंद्रसूरिकृतश्रीनेमिनाथचतुष्पदिका । संवेगमातृका १३५० ना अरसामां लखायेला ताडपत्रमा त्रुटक मळेली हेोवाथा कानु नाम तथा रच्या संवत् जणायला नथी. कुल गाथा ६१ छे. प्रथम भले मींडाथी मातृका शरु थाय छे. भले भणउ जाणउ परमत्थु दुलहु चउविह संघह सत्थु । एउ जाणेविणु लाहउ लिअउ निय विढत्थु धणु धम्मि दिउ । मीडउ भणीउ किम कवि कहइ मीडाविणु संसारु जु भमइ । मीडातणी अज एवंडी सक्ति मीडउ ध्यातां हुअइ ज मुक्ति ॥ २ ॥ मातृकाचउपइ पण उपरनान ताडपत्रमाथी मळे छे. कान नाम तथा रच्या संवत् आपेला नथी. अहींआ पण उअरनी पेठे बाराखडीना अक्षरो लइने उपदेश आप्यो छे. त्रिभुवनसरणु समरि जगनाहु निम फिट्टइ भादवदुहदाहु । जिण अरि आठ करम निद्दलिय नमो जिन जिम भवि नावउ वलिय । आंचली । सवि अरिहंत नमेवि सिद्धे उवझाय साहु गुणभूरि । माइयं बावन अक्षर सार चउपइबंधि पठिउ सुविचार । भले भगोविणु भणीअउ भलउ तिहूयणमांहि सारु एतलउ । जिनु जिनवचनु जगह आधारु इतीउ मूकिउ अवर असारु ॥२॥ मीडउ पडिउ भवनागमा जउ समकिति लीणु आतमा । जिनह वयणि करिने नियु ठाइ हृदय रहवि तिहुयणनाडु ॥ ३ ॥ कछूलीरास कछूली ए आबुनी तळेटीमां गाम छे. आ रासमां कछूलीना आचार्योनो इतिहास छे. आ रास कोरिंगवड में १३६३ मां रचायेलो छे अने कछूलीना आ For Private And Personal Use Only
SR No.020547
Book TitlePatanna Bhandaro Ane Khas Karine Tema Rahelu Apbhramsa tatha Prachin Gujarati Sahity
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChimanlal Dahyalal Dalal
PublisherMaherbanji Dadachanji Beheram
Publication Year1915
Total Pages45
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size4 MB
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