SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 25
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अंत www.kobatirth.org ( २४ ) सुम महुरहुरुंगुजारवो ! १६ पाज चडतह सावयालायणी । लापारामु दिसि दीसए दाहिणी ॥ ३ ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आवइ ए. जे न उजिंति घर घरइ धंधोलिया ए । आविही ए हीग्रह न जंति निफ्फलु जीविउ सासुतणउं ॥ १६ ॥ जीविउ ए सो जि परि धन्नु तासु संमच्छर निच्छृणु ए । सो परि ए मासु परि धन्नु बलि हीजइ नहि बासर ए ॥ १७ ॥ जीहि जिणु उजिलठामि सोहगसुंदरु सामलु ए । दीस तिहुयणसामी नयणसलूणउं नेमिजिणु ॥ १८ ॥ नीझरणचमर ढलति मेघाडंबर सिरि धरोई । तित्थ एउ रेवंद सिंहासणि जयइ नेमिजिणु ॥ १९ ॥ रंगिहि ए रसइ जो रासु सिरिविजय सेणिसूरिनिम्मविउ ए । मजिणु तूसइ तासु अंबिक पूरइ मणि रली ए ॥ २०॥ ( चतुर्थ कडवं ) नेमिनाथ चतुष्पदिका - संवत् १३१६ - १८ मां लखायेला कागळना पुस्तकमां खेली आ विनयचंद्रसूरिनी नेमिनाथ चतुष्पदिकानी ४० चोपाई छे. उदयसिंहनी धर्मविधिवृत्ति संवत् १२८६ मां शोधनार तथा कविशिक्षा वगेरेना रचनार महाकवि आचार्य विनयचंद्र रविप्रभना शिष्य हता; ज्यारे आ विनयचंद्रे सूरि रत्नसिंहना शिष्य हता. सोहगसुंदरु घणलायन्नु सुमरवि सामिउ सामलवन्नु सखिपति राजल चडि उत्तरिय बार मास सुणि जिम बज्जरिये ॥१॥ नेमकुमर सुमरवि गिरनारि सिद्धि राजल कन्नकुमारि । श्रावणि सरवणि कडुय मेहु गज्जइ विरहि रिझिज्जर देहु | विज्जु झक्कर रक्खास जेव नेमिहि विणु सहि सहियइ केम् || २ | सखी भइ सामिण मन झूरि दुज्जणतणा मन वंछित पूरि गयउ म त विठ्ठ काइ अछइ अनेरा वरह सयाइ || ३ || बोलइ राजल तउ इह वयणु नत्थि नेमिसम वररयणु । (१६) श्रावकोनी दृष्टि For Private And Personal Use Only
SR No.020547
Book TitlePatanna Bhandaro Ane Khas Karine Tema Rahelu Apbhramsa tatha Prachin Gujarati Sahity
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChimanlal Dahyalal Dalal
PublisherMaherbanji Dadachanji Beheram
Publication Year1915
Total Pages45
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy