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(१७) (१०) सर्वचैत्यपरिपाटिस्वाध्याय
जिणपहसारहि जो करइ सु लहइ सिद्धिरवेमु । (११) सुभाषित कुलक ३२ गाथा (१२ ) श्रावकविधिप्रकरण ३२ गाथा
इय आगमविहि सावगइ पइ दिणु किरिया सारु ।
जाणिउ निणपहि रइ करहु निम छिन्नहु संसारु ॥ ३२ ॥ ( १३ ) धम्माधम्मविचारकुलक १८ गाथा
आगमअणुसारिहिं जिगपहसूरिहिं धम्माधम्मवियारु किउ ॥ १८ ॥ (१४ ) वयरस्वामि चरित्र ६० गाथा सं. १३१६
चंदगाच्छि देवभद्दसूरि दरक फुरइ जिणपहसूरि समगुगलरक . नाणि चरणि गुणि कित्ति समद्ध देउ वयरसामि चरिउ आणदु ॥ १८ ॥ सोहग्गमहानिहिणो गुरुणो सिरिवयरतामिणो चरिय
तेरह सोलुत्तरए रइयं सुहकारणं जयउ ॥ १९ ॥
(१५) नेमिनाथ जन्माभिषेक १० गाथा (१६) मुनिसुव्रत स्वामि स्तोत्र १३ गाथा ( १७ ) छप्पन्नदिशाकुमारिजन्माभिषेक १५ गाथा ( १८) जिन स्तुति २४ गाथा. आ उपरीत जिनप्रभy नाम आपेलुं नथी पण घj करीने जिन प्रभनांन बनावेलां केटलांक उपरनाज ताडपत्रना पुस्तकमां काव्यो छे. ( १ ) पटपंचाशदिक्कुमारिका स्तवन २५ गाथा (२) महावीर चरित्र २४ गाथा.
( ३ ) जंबु चरित्र २० गाथा धन्याश्री भाषामां गवाय छे सं. १२९९
बारसनव्वाणउए भद्दवसियपडिवगुरि समुद्धरियं
धन्नासीभासाए भणियव्वं संघभद्दकए ॥ २० ॥
श्रीजिनप्रभुमोहराजविजयोकित २१ गाथा (५ ) जिनकल्याणक ४ कडवा (१) भासरागेण (२) खंभाइथीभाषया ( ३ ) देवकृतिभाषया (४) गुड कृतीभाषया.
(१) सुकोशल चरित्र १८ गाथा.
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