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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( १८ ) तेरदुरुत्तरवरिले सिरिवीरजिदिमाक्कल्ला | कल्लाणं कुणह सया पढंतगुणंताण भव्वाण ॥ २॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ७ ) जिन स्तुति २० गाथा (८) चाचरी स्तुति ( वेलाउली रागेण ) ३६ गाथा ( ९ ) गुरुस्तुति चाचरि ( गुर्जरीरागेण ) १५ गाथा नर्मदा सुंदरी संधि, जिनप्रभ शिष्य ७९ गाथा सं. १३२८. तेरससयअडवीसे वरिसे सिरिणिपहुपसाएणं । एसा संधी विहिया जिनिंदवयणानुसारेण ॥ ७१ ॥ गौतम स्वामि चरित्र, गौतम स्वामि-जिन प्रभना शिष्य २८ गाथा संवत् १३५८ गोयमसामहिं गोयमचरियं रइयं पढमंजरीए भासाए कत्तियअमावसाए अठ्ठावन्नस्स वरिसस ।। २८ ॥ चच्चरिउ, कर्ता सोलणु ३८ गाथा. कर जोडे मोलणु भइ जीविउ सफलु करे । तुम्हि अवधारह धम्मियउ चच्चारेडं गाए ॥ ३८॥ दूहा मातृका १८ गाथा. मंगलमहासिरिसरि सिवफलदाय रम्मु । दुहामाई अखियइ पुहविहिं निणवरधम्मु ॥ ९८ ॥ शालिभद्रका (कक्को ) कर्ता पउम ६९ गाथा. भलि भंजणकम्मारिकुल वरिनाहु पणमेव । पउनु कहइ कक्कक्खरिहिं सालिभद्दगुण केवि ॥ अंतरंग रास जिनसूरि ९९ कडवां. तारे जिय जिणसूरिहिं करि जिणधम्मु पमाउ विणासिउ ॥ चतुर्विंशति जिनकल्याणक १३ कडवां, स्थूलभद्रचरित्र २ कडवां, जन्माभिषेक स्तुति ५ कडवां, अवंतिसुकुमार संधि ११ कडवां. भावना संधि. शिवदेवसूरिना प्रथम शिष्य जयदेवगणिनी भावना संधिनां ६ कडवां ( ६२ पढ़ो ) छे. निम्मलगुणभूरिहिं सिवदिवसूरिहिं पढम् सीसु जयदेवगण | कियभावणसंधि भावसुगंधी निसुणवि भविया धरह मणि || For Private And Personal Use Only
SR No.020547
Book TitlePatanna Bhandaro Ane Khas Karine Tema Rahelu Apbhramsa tatha Prachin Gujarati Sahity
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChimanlal Dahyalal Dalal
PublisherMaherbanji Dadachanji Beheram
Publication Year1915
Total Pages45
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size4 MB
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