SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 99
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 95 ) लमदनाधोमुखस्थापित परार्यवसनाछन्त्रालंकारालगतजग त्रिकदुंदुभिनितम्मबिम्बयुगलायै नमः // 41 // कृतविश्वविजय० जगजैत्रिकदुंदुभिनितम्बबिम्बयुगलं पू० // 42 // गीर्वाणराजगजेंद्रशुंडादंडोरुयुगलायै नमः॥ 43 // गीर्वाणराजगजेंद्रशुंडादंडोरुयुगलं पू० // 43 // माणिक्यमुकुटा कारजानयुग्मायै नमः // 14 // माणिक्यमुकटाकारजान यग्मं पू० // 44 // अनंगवीरतूणीरजंघायुगलाय नमः // 45 // अनंगवीरतूणीरजंघायगलं पू० // 45 // अनौपम्यरमरम्यगढगुल्फायै नमः // 46 // अनौपम्पपरमरम्यगूढगुल्फो पू० // 46 // मणिगणलसत्रणत्कनकपादवलयझणनमंजीरकणितपदपत्रकनदद्रत्नांगुष्टीय छम्छम्कतहंसकातिरमणीय समाश्रितसुरवृक्षछायाभरसंलसितसंसारतापहारक श्रीनिवासश्रीकरमुनिमानसपेटिकारत्नश्रुतिमस्तकावतं सस्वयंभूशंभुश्रीपतिसुरेन्द्रप्रभृत्यशेषलेखकिरीटनिकरनीराजि तसुकतिहृदयाम्बुजावासललितलास्यलीलास्पदसकलतीर्थालयसकलमंगलावसथ स्वजनमानसहंस सकलसौंदर्यस्थान निखिलनिगमगीतगुणगणगरिष्ट वरदवरिष्ट शिष्टसंसेव्यनिखि लतेजोनिलयाखिलवाङमनोतीतमहिमहिमशालिप्रकाशविम सामरस्यनिर्वाण स्वरूपाशरणशरणांबुजचरणयुगलायैनमः // 47 // मणिगणलसत्० अशरणशरणांबुजचरणयुगलं प० // 17 // रत्नेंद्रसारनिर्मितपदपत्रनामकाभरणालंहत कर्मप्टष्टाचपावपृष्टायै नमः // 40 // रत्नेंद्र० कूर्म पृष्टोचपादपृष्टयुगलं पू० // 40 // कलहंसकलारावहंसकनि For Private and Personal Use Only
SR No.020537
Book TitleParambika Stotravali
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages176
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy