________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (40) वाग्देवताष्टकमुखाब्जविनिर्गताया आन्दसिन्धुलहरी ललिताक्षरालिः॥ धर्मार्थकामपरमार्थपदप्रदा मे नामालिरस्तुरसनाग्रगता शिवायाः // 3 // इतिश्रीत्रिशतीरत्नत्रयं समाप्तम् // ॐ एकमद्वयमनन्तमीप्सितं मामकं परमसौरव्यदायकम्॥ व्यापकं सकललोकपावनं दर्शयाम्बपदमक्षयं तव // 1 // संसारतापपरिदग्धकलेवरस्य दुःखछिदे जननि तावकपादकञ्ज. म्॥ सिद्धौषधं गुरुभिषग्वरसंप्रदिष्टं भूयाद्भवानि मम मस्तक एव नित्यम् // 2 // तप्तानामातपत्रं भवदिवसपते रश्मिजालाज्जनानां भक्तनां कामरत्नान्यविरतमखिलान्याकिरत्स्वच्छभासम् // मातः पादाब्जयुग्मं नखशशिदशकं सन्निधानं श्रियस्ते सान्निध्यं स्वस्य देयान्निजनहिमतया मह्यमाखण्डलेशि // 3 // धन्यास्त एव सुखिन स्त्रिपुरे भवत्याः पादारविन्दयुगलं हि विचिन्तयन्ति // मान्याः सतां समधियो भुवनैकवन्द्या भूमौ भवानि भवतापहरा जयन्ति // 4 // यथा विहंगा झटिति प्रयान्ति श्रीमद्गुरोलब्धशरण्यदीक्षाः॥ तवेह मातः स्वपदं महान्त स्तथापदाब्जार्चनयाऽव्ययं तत् // 5 // परिहृतपाथोजश्रीः किसलयरुचिहारको हि चरणस्ते शोणिम्ना च मृदिम्ना प्रभया मेऽज्ञानतमोहरतु // 6 // इति श्रीचरणारविन्दस्तुतिः समाप्ता // श्रीअम्बादर्शनलालसापरिपूरिणी अम्बाज नभक्तिर्विजयतेतराम् // For Private and Personal Use Only