________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 18 ) णूपमम् त्यक्ताधर्म विलोपनस्य समये मानोमहीवल्लभः कान्तरंतपसेययौ मुनिरिवध्यायन् परंचेतसा // 2 // पण्डित हरकिसन कृत श्लोकौ // सप्ता भवन् मानमृगेन्द्र सूनवो विभूतिहर्यक्षमुखाः मनोहराः // तेषांसुविद्या व्रतधर्मशीलवान् दानीभवान् भो जइवाऽपरोऽभवत् // 1 // भगवती भवभीति विनाशिनी सब जभंड विनाशन कारिणी // त्रिदशपालिनी भक्तवरप्रदा तवकरोतु शुभंललिताम्बिका // 2 // दाधीच आसोपा पण्डित बलदेवात्मज पण्डित रामकर्णस्य कृतिः // श्रीसूर्यवंशप्रभवे विशाले राठोड़वंशे मरुभूमिपालः // मा. न्योवदान्योऽजनि मानसिंहः सामन्तचक्रार्चितपादपीठः // 1 // मांलक्ष्मीनयते बुधेषुनितरांकृत्वा परीक्षांस्वयं तस्मा न्मानमहीपतिः प्रभुरभूदन्वर्थनामा मरौ // तत्सूनोश्च सुव र्णसिंह विदुषः संज्ञा यथार्थाऽभवद्विद्वत्वेनच कांचनस्यनित रांदानेनदीप्तद्युतेः॥२॥ विद्वत्त्वमेतस्य विभातमेतत्कृतिर्विधत्ते रुचिरारसाला॥ निपीययस्याःसुरसं रसज्ञाःनिराकुलाःसंस्वदते सदैव // 3 // दानस्यतु कथाका वा वर्ण्यतेऽस्य महीभुजः॥ येन रङ्काः सुबहवो रावयोग्यपदाः कृताः // 1 // सोऽसौ For Private and Personal Use Only