________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चन्द पारसकोकारस विचारोकंथ रसायन चायन उपायनसमा जाकौ / भरोसुखसारोचाहो संमतहमारोधारो सुजस उचारोसोनसिंहरावराजाको // 2 // कविकी उक्ति॥मायादेतदीननकां जन जोगमाया तुहीपाया है प्रमोद भक्तिप्रेमरस छाया है / गाया है गुनानुवाद जोही गुनभायाअच्छी आभा सरसा या वहै दर्षन लुभायाहै // लालचन्द भालचन्द जायामहामाया हिये आ रावराजा सोनसिंह ध्यानदर्शाया है / भाया गुरुग्यान दान सुजस उपाया अति कल्पकलता सैं कर कीरति कमायाहै // 3 // विक्रम के विक्रमकों विक्रम कियो है निज विक्रम अनुक्रम में दीन दुःख मेटे तै विद्या के विनोद वरबोध अनुबोध कर ब्रीडत गुरुकुं कीयो काव्य न झपेटे तै लालचन्द लक्षथूल स्थूल लक्षलोकन को राव राजा सोनसिंह जगजस भेटते मानसुत सुषमा सुमेत कर हेत देत कीरतकां लेत भोजकर्ण किये हेटे तै // 4 // योसवाड़े कवरजी के गुरुजीके कये हुए श्लोक // श्रीमद्योधपुरस्थस्य शोभनाख्यमहात्मनः // व्याप्तंचराचरंसम्यग् मार्तण्डइव तद्यशः॥१॥शोभनाख्यो विभात्येषो विद्यानांचेभास्करः॥ आनन्दो भवतेयस्य प्राणिनांदर्शना. दिहः // 2 // गुणागुणविवेकज्ञो यतिराजकृतादरः // प्रतापी शोभनाख्योऽयं सुतरांराजते क्षितौ // 3 // भवान्हिसर्वस. त्वेषु पुण्यकर्मणितत्परः वलवानपिनमात्मा शोभनाख्यो For Private and Personal Use Only